श्रम नीतियों के खिलाफ सरकार को जगाने के लिए विरोध प्रदर्शन करेगा RSS का यह संगठन

केंद्र-राज्यों की श्रमिक नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन 24 जुलाई से एक हफ्ते तक देशभर में विरोध प्रदर्शन

सरकार जगाओ शपथ’ नाम से चलने वाला यह देशव्यापी प्रदर्शन 24 जुलाई से शुरू होगा. यह प्रदर्शन राज्यों की राजधानियों, जिला मुख्यालयों, तहसील एवं ब्लॉक मुख्यालयों और सभी बड़े इंडस्ट्रियल एस्टेट में किया जाएगा.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा भारतीय मजदूर संघ (BMS) केंद्र और राज्य सरकारों की श्रम नीतियों के खिलाफ एक हफ्ते तक विरोध प्रदर्शन करेगा. ‘सरकार जगाओ शपथ’ नाम से चलने वाला यह देशव्यापी प्रदर्शन 24 जुलाई से शुरू होगा.

देशभर में होगा प्रदर्शन

भारतीय मजदूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने बताया कि राष्ट्रीय, प्रांतीय, उद्योगों और स्थानीय स्तर की श्रमिक समस्याओं को लेकर यह प्रदर्शन किया जाएगा. यह प्रदर्शन राज्यों की राजधानियों, जिला मुख्यालयों, तहसील एवं ब्लॉक मुख्यालयों और सभी बड़े इंडस्ट्रियल एस्टेट में किया जाएगा.

पांच प्रमुख मसले

यह विरोध प्रदर्शन पांच प्रमुख मसलों के लिए किया जा रहा है. ये हैं- असंगठित क्षेत्र के मजदूरों खासकर प्रवासी श्रमिकों की समस्याएं, वेतन भुगतान न होने, नौकरियों में छंटनी, कई राज्यों में श्रम कानून निलंबित करने और काम के घंटे बढ़ाने, पीएसयू को बेचकर अंधाधुंध निजीकरण को बढ़ावा देने और डिफेंस एवं रेलवे के उत्पादन कारखानों का निगमीकरण करने.

क्या होगा इस प्रदर्शन में

विरजेश उपाध्याय ने बताया, ‘हर उद्योग स्तर का संगठन और राज्य की इकाइयां अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को उजागर करेंगी. ‘सरकार जगाओ शपथ’ के तहत बीएमएस के कार्यकर्ता हर सेक्टर में जमीनी स्तर के कामगारों से संपर्क करेंगे और उन्हें केंद्र एवं राज्य सरकारों की नवीनतम नीतियों तथा श्रमिकों पर उसके असर को लेकर जागरूक करेंगे. इस अभियान के तहत 4 राज्य सरकारों द्वारा लाए गए मजदूर विरोधी अध्यादेशों और 12 राज्यों द्वारा काम के घंटे 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे करने के मसले को भी उजागर किया जाएगा.’

भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की 7 जुलाई को हुई एक वर्चुअल बैठक में इस बारे में निर्णय लिया गया. बैठक में इस बात पर भी विचार किया गया कि संगठन द्वारा तीन दिन तक कोल सेक्टर में किए गए हड़ताल का क्या असर रहा.

गौरतलब है कि यूपी, एमपी, गुजरात सहित कई राज्यों ने लॉकडाउन के दौरान श्रम कानूनों में भारी बदलाव करते हुए उसे इंडस्ट्री के अनुकूल बना दिया है. कई राज्यों में काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 तक कर दिए गए हैं. इसको लेकर श्रम संगठन इन सरकारों की काफी आलोचना करते रहे हैं.