महाराष्ट्र में लोकतंत्र की सरकार, किसी रिमोट कंट्रोल से नहीं चल रही: शरद पवार

‘सामना’ को दिए इंटरव्यू में पवार ने कहा कि सरकार को सीएम उद्धव ठाकरे और उनके मंत्री चला रहे हैं। इसके साथ ही पवार ने यह भी कहा कि बालासाहेब ठाकरे और बीजेपी की सोच तथा शैली में बहुत अंतर था। लोकतंत्र में सरकार या प्रशासन कभी रिमोट से नहीं चलता। रिमोट कहां चलता है? जहां लोकतंत्र नहीं है वहां।

मुंबई
एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा है कि महाराष्ट्र में लोकतंत्र की सरकार है, जो किसी भी रिमोट कंट्रोल से नहीं चल रही है। ‘सामना’ को दिए इंटरव्यू में पवार ने कहा कि सरकार को सीएम उद्धव ठाकरे और उनके मंत्री चला रहे हैं। इसके साथ ही पवार ने यह भी कहा कि बालासाहेब ठाकरे और बीजेपी की सोच तथा शैली में बहुत अंतर था। पढ़िए इंटरव्यू-
शरद पवार : मेरा स्पष्ट मत है कि विधानसभा में उनके बीजेपी के विधायकों का जो 105 फिगर हुआ, उसमें शिवसेना का योगदान बहुत बड़ा था। अगर उसमें शिवसेना शामिल नहीं होती तो इस बार 105 नहीं बल्कि 40-50 के करीब सीटें मिली होती। बीजेपी के लोग कहते हैं कि 105 विधायक होने के बावजूद सहयोगी यानी शिवसेना ने नजरअंदाज किया अथवा सत्ता से दूर रखा। उन्हें 105 तक पहुंचाने का काम जिन्होंने किया, यदि उन्हीं के प्रति गलतफहमी भरी भूमिका अपनाई तो मुझे नहीं लगता कि औरों को कुछ अलग करने की आवश्यकता है।जिन बालासाहेब ठाकरे को जानता हूं। मेरी तुलना में आप लोगों को शायद अधिक जानकारी होगी। परंतु बालासाहेब की पूरी विचारधारा, काम करने की शैली भारतीय जनता पार्टी के अनुरूप थी, ऐसा मुझे कभी महसूस ही नहीं हुआ।
प्रश्न: क्यों…? आपको ऐसा क्यों लगा?
-बताता हूं ना। सबकी वजह यह है कि बालासाहेब की भूमिका और बीजेपी की विचारधारा में अंतर था। खासकर काम की शैली में जमीन आसमान का अंतर है। बालासाहेब ने कुछ व्यक्तियों का आदर किया। उन्होंने अटलबिहारी बाजपेयी का? आदर किया। उन्होंने आडवाणी का किया। उन्होंने प्रमोद महाजन का आदर किया। उन सभी को सम्मान देकर उन्होंने एक साथ आने का विचार किया और आगे सत्ता आने में सहयोग दिया। दूसरी बात ऐसी थी कि कांग्रेस से उनका संघर्ष था, ऐसा मुझे नहीं लगता। शिवसेना हमेशा कांग्रेस के विरोध में ही थी, ऐसा नहीं है।
बालासाहेब अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा मुंह पर ही कहनेवाले नेता थे। इसलिए ये अब हुआ होगा।
-हां, बालासाहेब वैसे ही थे। जितने बिंदास उतने ही दिलदार। राजनीति में वैसी दिलदारी मुश्किल है। शायद बालासाहेब ठाकरे और शिवसेना देश का पहला ऐसा दल है कि किसी राष्ट्रीय मुद्दे पर सत्ताधारी दल के प्रमुख लोगों का खुद के दल के भविष्य की चिंता न करते हुए समर्थन करते थे। आपातकाल में भी पूरा देश इंदिरा गांधी के विरोध में था। उस समय अनुशासित नेतृत्व के लिए बालासाहेब इंदिरा गांधी के साथ खड़े थे। सिर्फ खड़े ही नहीं हुए बल्कि हम लोगों के लिए चौंकानेवाली बात तो यह भी थी कि उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के चुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का ऐलान कर दिया।
प्रश्न: इस सरकार के आप हेडमास्टर हैं या रिमोट कंट्रोल?
-दोनों में से कोई नहीं। हेडमास्टर तो स्कूल में होना चाहिए। लोकतंत्र में सरकार या प्रशासन कभी रिमोट से नहीं चलता। रिमोट कहां चलता है? जहां लोकतंत्र नहीं है वहां। हमने रूस का उदाहरण देखा है। पुतिन वहां 2036 तक अध्यक्ष रहेंगे। वो एकतरफा सत्ता है, लोकतंत्र आदि एक तरफ रख दिया है। इसलिए यह कहना कि हम जैसे कहेंगे वैसे सरकार चलेगी, यह एक प्रकार की जिद है। यहां लोकतंत्र की सरकार है और लोकतंत्र की सरकार रिमोट कंट्रोल से कभी नहीं चल सकती। मुझे यह स्वीकार नहीं। सरकार मुख्यमंत्री और उनके मंत्री चला रहे हैं।