विश्रामपुरी के बिहान समूह द्वारा निर्मित राखियॉ कर रही हैं लोगों को आकर्षित
कोण्डागांव : देश में धीरे-धीरे चांइनीस समानो को लेकर उठ रहे बहिष्कारी आवाजो के बीच स्वदेशी निर्माताओं को आगे बढ़ने का एक अवसर प्राप्त हुआ हैं। विगत कुछ सालो से देखा जाता रहा हैं कि राखी का त्यौहार निकट आते ही बाजार चांइनीस राखियों से पट जाते थे जो मूल्य में स्वदेशी निर्मित राखियों से सस्ती होती थी। परन्तु इस वर्ष लोगों को स्वदेशी राखियों का विकल्प दिलाने जिले की कई बिहान समूह राखियों के निर्माण कार्य में जुट गये हैं। इन्ही में से मॉडल दिव्या महिला क्लस्टर विश्रामपुरी के अंतर्गत आकाश महिला क्लस्टर सलना की महिलायें भी शामिल हैं। इसके अंतर्गत क्लस्टर सलना में 10 समुहों की 20 महिलायें प्रतिदिन कार्यरत हैं। इन 10 महिला समूहो की 20 सदस्यों ने विगत 5 दिनो में 15 सौ से अधिक राखियां तैयार की हैं। इस संबंध में क्लस्टर के यंग प्रोफेशनल वाय.पी.महेश्वर ने बताया कि जनपद पंचायत सीईओ अशोक ठाकुर की प्रेरणा से क्लस्टर की अध्यक्षा देवन्तीन नेताम एवं प्रीती सोनी ने समुहों से चर्चा कर राखी बनाने के काम में रूची लेने वाले समूहों को इस काम से जोड़ा इसके लिए कच्चा माल रायपुर से मंगाने के पश्चात विगत 5 दिनो से लगातार समूह की महिलायें राखी बनाने के काम में जुट गई। इस काम के लिए उन्हे प्रति राखी के मूल्य एवं डिजाइन के अनुसार राशि प्राप्त होती है। हर महिला प्रतिदिन 50 से लेकर 150 तक राखी तैयार कर लेती है।
केनोपी लगाकर समूह कर रहा राखियों का विक्रय
इस संबध में जिला मिशन प्रबंधक विनय सिंह ने बताया कि राखियों के निर्माण के पश्चात क्लस्टर के द्वारा राखियों के फुटकर विक्रय के लिए विश्रामपुरी में मुख्य मार्ग पर केनोपी लगाकर राखियों का विक्रय किया जा रहा है। जिसमे प्रतिदिन समुह की दो महिलायें राखी विक्रय करती है। यह राखियां बाजार के अन्य राखियों से सस्ती एवं डिजाइन में बहुत अच्छी है। इन राखियों की कीमत 5 रूपये से लेकर 50 रूपये तक डिजाईन के अनुसार समूहों द्वारा तय की गई है। वर्तमान में दो हजार राखियों का ही लक्ष्य रखा गया है। केवल 1 दिन में ही 780 रूपये की राखी विक्रय की जा चुकी है। आने वाले दिनो में इनकी मांग को देखते हुए और अधिक समुहों को जोड़कर उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया जायेगा।