छत्तीसगढ़ के इस मेडिकल कॉलेज में फिर से एक बार महिला डॉक्टर हो गईं उत्पीड़न की शिकार
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञार संस्थान बिलासपुर, CIMS की छवि एक बार फिर दागदार हो गई है। एक महिला चिकित्सक ने मेडिसन विभाग के एचओडी पर उत्पीड़न का आरोप लगाई है। मेडिसिन विभाग के एचओडी पर अनुचित व्यवहार, उत्पीड़न और अनुचित स्पर्श का आरोप लगाया है। छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। बता दें कि सिम्स में महिला उत्पीड़न का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी इस तरह की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। शिकायत सामने आने के बाद सिम्स के डीन ने बैठक कर संबंधित एचओडी को परीक्षा कार्य से पृथक कर दिया है।
एमडी मेडिसिन की द्वितीय वर्ष की पोस्ट ग्रेजुएट रेसिडेंट सिम्स मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई कर रहीं हैं। उन्होंने मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर पंकज टेंभूर्निकर पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन संगठन के प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने पिछले आठ माह से मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉक्टर पंकज टेंभूर्निकर के ऊपर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है। महिला रेसिडेंट डॉक्टर ने अपनी शिकायत में बताया है कि पिछले आठ माह से मैं एचओडी पंकज टेंभूर्निकर की ज्यादतियों का शिकार हो रही हूं। वह लगातार उनका मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न कर रहे हैं। जब मैं आपातकालीन ड्यूटी कर रही थी इस दौरान डॉक्टर टेंभूर्निकर ने मेरा फोन फेंक कर तोड़ दिया। ड्यूटी के दौरान वह मुझे मौखिक रूप से दुर्व्यवहार करते हैं और अनुचित तरीके से स्पर्श करते हैं।
रेसिडेंट महिला चिकित्सक ने बताया कि मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर टेंभूर्निकर के व्यवहार की वजह से वह लगातार मानसिक तनाव में रहती है। उनके द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न से ना ही वह अपने कर्तव्य को प्रभावी ढंग से अपनी पूरी क्षमता के साथ पूरा कर पा रही हैं बल्कि इससे उनके संपूर्ण स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाया है।
महिला रेसिडेंट चिकित्सक के पत्र को संज्ञान में लेकर छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखा है। फेडरेशन ने महिला इंटर्न डॉक्टर की शिकायत का उल्लेख करते हुए बताया है कि इंटर्न और अन्य डॉक्टर, रेसिडेंट्स के द्वारा आंतरिक रूप से इस मुद्दे को संबोधित करने के पूर्व प्रयासों के बावजूद कोई प्रभावी उपाय नहीं किया गया है।
लगातार हो रहे इस उत्पीड़न में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है, ताकि सभी पोस्ट ग्रेजुएट रेसिडेंट्स के लिए एक सुरक्षित और पेशेवर कार्य वातावरण सुनिश्चित हो सके। फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में तुरंत कार्यवाही नहीं की जाती है तो हमें इस मामले को न्याय संगत तरीके से हल करने के लिए कानूनी चैनलों के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा और सिम्स बिलासपुर में चिकित्सा विभाग की सभी महिला पोस्ट ग्रेजुएट रेसिडेंट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करनी पड़ेगी।
सिम्स द्वारा उठाए गए कुछ कदम
मामला सामने आने के बाद सिम्स मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने कुछ कदम उठाए हैं। मेडिसिन विभाग में घटित कतिपय अप्रिय घटना को ध्यान में रखते हुए एवं अधिष्ठाता सिम्स की अध्यक्षता में 6 फरवरी को सुबह 11:00 बजे बैठक ली गई। बैठक के बाद कुछ दिशा– निर्देश जारी किए गए है:–
1– डॉक्टर अमित कुमार ठाकुर सह प्राध्यापक को पीजी स्टूडेंट्स का रोस्टर बनाने, अटेंडेंस, वर्कबुक, लॉग बुक एवं किसी से संबंधित मामलों का प्रभारी नियुक्त किया गया है। इस प्रकार समस्त पीजी स्टूडेंट को कोई समस्या होने एवं किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त करनी हो तो सीधे एचओडी से ना मिलकर डॉक्टर अमित ठाकुर से संपर्क करेंगे।
2– डॉ पंकज टेंभूर्निकर को सूचित किया गया है कि स्नातकोत्तर शैक्षणिक बैच 2022–23 एवं 2023–24 में कुछ पीजी रेसिडेंट उनके रिश्तेदार हैं, इसलिए वह मेडिसिन के लिए आयोजित होने वाली विश्वविद्यालयीन परीक्षा से अपने आप को पृथक रखेंगे और आंतरिक तथा बाह्य परीक्षक नहीं बनेंगे।
,3:– मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ पंकज टेंभूर्निकर एवं सह प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक को अवगत कराते हुए सर्व सहमति से निर्णय लिया गया है कि महिला पीजी रेसिडेंट द्वितीय वर्ष को विभागाध्यक्ष मेडिसिन के यूनिट में पोस्टिंग नहीं लगाई जाए।
कैदी की पत्नी को बेड शेयर की रख दी थी शर्त
सिम्स में महिला उत्पीड़न का यह पहला मामला नहीं है। पूर्व में जेल में बंद एक कैदी ईलाज के लिए सिम्स में भर्ती हुआ था, जिसकी पत्नी ने भी यौन प्रताड़ना की शिकायत की थी। शिकायत के अनुसार उसके कैदी पति को वापस जेल ना भेज कर सिम्स में कुछ दिन और एडमिट रखकर ईलाज के लिए डॉक्टर ने बेड शेयर करने की शर्त रखी थी।
इसके अलावा भी एक अन्य सीनियर डॉक्टर पर अन्य विभाग की मेडिकल पीजी छात्राओं ने यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ की शिकायत की थी। जिससे समझा जा सकता है कि सिम्स में अलग-अलग विभागों में इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं।