छत्तीसगढ़ में नहीं है इलेक्ट्रानिक साक्ष्य विशेषज्ञ, चीफ सिकरेट्री को शपथ पत्र के साथ तैयारियों के संबंध में देनी होगी जानकारी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में डिजिटल फोरेंसिक विशेषज्ञ Digital Forensic Speslist की नियुक्ति की मांग को लेकर गुरुवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने चीफ सिकरेट्री को शपथ पत्र के साथ जानकारी देने का निर्देश दिया है।
प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का कोई विशेषज्ञ नहीं होने पर याचिकाकर्ता शिरीन मालेवर ने अधिवक्ता गौतम खेत्रपाल और रुद्र प्रताप दुबे के माध्यम से याचिका दाखिल की है। पूर्व में हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि देशभर में 16 शहरों में एक्सपर्ट की नियुक्ति की गई है। एक्सपर्ट की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। फिलहाल छत्तीसगढ़ प्रदेश में किसी एक्सपर्ट की नियुक्ति नहीं हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का कोई परीक्षक नहीं है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गौतम खेत्रपाल ने कहा कि, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 63(4) के तहत इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों को प्रमाणित करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की स्थापना करना जरूरी है।
छत्तीसगढ़ राज्य के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79-ए के तहत कोई परीक्षक/विशेषज्ञ नहीं है। केंद्र सरकार के अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने बताया कि, केंद्रीय और राज्य प्रयोगशालाओं की अधिसूचना के लिए एक योजना लागू की गई है। प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए आवश्यक आईटी अधोसंरचना, उपकरणों की स्थापना और प्रशिक्षित व्यक्तियों की व्यवस्था करने और प्रयोगशाला संचालित करने की आवश्यकता होती है।
डिजिटल फोरेंसिक विशेषज्ञ ऐसे व्यक्ति होते हैं जो कानूनी कार्यवाही के दौरान डिजिटल डेटा और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों का विश्लेषण और मूल्यांकन करते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य में कोई भी जानकारी शामिल है जो किसी कंप्यूटर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में स्टोर होती है या फिर संदेश भेजा जाता है। ईमेल, डाक्यूमेंट्स, फोटो,वीडियो, आडियो, सोशल मीडिया प्लेटफार्म में किए गए पोस्ट के अलावा वेब साइट डेटा। ये सभी साक्ष्य डिजिटल रूप में होते हैं। इनकी जांच पड़ताल कर साक्ष्य जुटाने का काम विशेषज्ञ करते हैं। विशेषज्ञ कानूनी कार्रवाई में विशेष भूमिका निभाते हैं। खासकर जब डिजिटल साक्ष्य शामिल होते हैं।