मनरेगा से लगाए गए 600 पौधे राहगीरों को देते हैं छाया
रायपुर : गांव में हरियाली और पर्यावरण संरक्षण के लिए लगाए गए पौधे तेज धूप एवं तपती गर्मी में राहगीरों को सुकून दे रहे हैं। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के अंतर्गत सड़क किनारे और गांव के मुक्तिधाम में तीन साल पहले रोपे गए पौधे अब सात से दस फीट ऊंचाई के हो गए हैं। रास्ते से गुजरने वालों और अंत्येष्टि के लिए मुक्तिधाम पहुंचे लोगों को ये धूप और गर्मी से राहत दे रहे हैं।
बालोद जिले के राघोनवागांव ग्राम पंचायत में मनरेगा कार्यों के तहत तीन वर्ष पहले सड़क के किनारे दोनों ओर 500-500 मीटर में तथा मुक्तिधाम में गुलमोहर, नीम, करंज, कुसुम, आंवला और सतपतिया के पौधे लगाए गए थे। योजना के अंतर्गत इनकी लगातार देखभाल की गई। पौधों की सुरक्षा के लिए चेन लिंक कांक्रीट पोल से घेरा किया गया। ड्रम टैंकर की मदद से इन्हें नियमित पानी दिया गया। मनरेगा से इन पौधों का संधारण अब भी जारी है।
डौण्डीलोहारा विकासखण्ड के राघोनवागांव के देवरीबंगला से डोंगरगांव जाने वाली सड़क के किनारे यह वृक्षारोपण किया गया है। गांव से कुछ ही दूरी पर इस सड़क से लगकर मुक्तिधाम है। यहां पेड़-पौधे न होने से अंत्येष्टि के लिए पहुंचने वाले लोग छांव के लिए लिए तरस जाते थे। वहीं सड़क के किनारे उगे कंटीले पौधे और बंजर भूमि पर फैला कचरा गांव में गंदगी का अहसास कराता था। इससे निजात पाने के लिए ग्राम पंचायत ने छायादार पेड़ लगाने का निर्णय लिया। सड़क के दोनों ओर तथा मुक्तिधाम में मनरेगा के तहत पौने नौ लाख रूपए की लागत से 600 पौधे लगाए गए। योजना के तहत अगले तीन-चार सालों तक इनकी देखभाल और संधारण का भी प्रावधान किया गया। इस काम में गांव के 211 मनरेगा श्रमिकों को 2755 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला। उन्हें मजदूरी के रुप में चार लाख 89 हजार रुपए का भुगतान किया गया।
पौधों की नियमित देखभाल और समय-समय पर उन्हें पानी देकर ग्राम पंचायत ने मुक्तिधाम के आसपास और सड़क किनारे हरियाली ला दी है। राघोनवागांव के श्री जलांधर सिंह बताते हैं कि उन्हें इस काम के दौरान 81 दिनों का रोजगार मिला, जिसमें उसे 14 हजार 670 रुपए की मजदूरी मिली। गांव के ही एक और मनरेगा श्रमिक श्री गेमेन्द्र कुमार ने वृक्षारोपण और पौधों के संधारण के लिए यहां 30 दिन काम किया है। इसकी मजदूरी के रुप में उसे 5340 रुपए प्राप्त हुए हैं। पंचायत द्वारा लगाए गए इन पेड़ों के छांव तले पथिक जहां तेज धूप में सुकून महसूस करते हैं, वहीं अंत्येष्टि के लिए मुक्तिधाम पहुंचने वाले शोकाकुल परिवार इनकी छांव में राहत पाते हैं।