प्राचार्य प्रमोशन की सभी प्रक्रियाओं पर हाई कोर्ट ने 9 जून तक लगाई रोक, काउंसलिंग और ज्वाइनिंग भी नहीं होगी…

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बिलासपुर। प्राचार्य प्रमोशन के मामले में किसी भी प्रक्रिया पर रोक 9 जून तक रहेगी। हाईकोर्ट ने काउंसलिंग और ज्वाइनिंग पर कोई भी प्रक्रिया नहीं करने का आदेश जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 9 जून को होगी। हाईकोर्ट ने बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य शासन और स्कूल शिक्षा विभाग को जमकर फटकार लगाई और कहा कि आदेश के बाद भी शिक्षकों को प्राचार्य पद पर ज्वाइन कराया गया। यह मामला हाईकोर्ट के आदेश के अवमानना का है। कोर्ट ने राज्य शासन से कितने शिक्षकों ने ज्वाइन किया, ज्वाइनिंग किसने दी और प्राचार्य प्रमोशन पर पूरी रिपोर्ट मांगी है। अगले आदेश तक सभी ज्वाइनिंग को भी हाईकोर्ट ने अमान्य किया है।

प्राचार्य प्रमोशन को लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाएं लगी है। एक मामला 2019 से जुड़ा हुआ है, जबकि दूसरा प्रकरण 2025 और बीएड-डीएलएड से जुड़ा है। 28 मार्च 2025 को जब हाईकोर्ट की पिछली सुनवाई हुई थी, तो सरकार की ओर से कोर्ट को आश्वस्त किया गया था कि अगली सुनवाई तक प्राचार्य प्रमोशन का आदेश जारी नहीं किया जाएगा। इसके बाद भी 30 अप्रैल को प्रमोशन लिस्ट जारी कर दी गई। अगले दिन एक मई को हाईकोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। बुधवार 7 मई को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकीलों ने इस मुद्दे को जोर से उठाया और कोर्ट के सामने बताया कि कई व्याख्याताओं को नियम विरुद्ध कार्यभार भी ग्रहण करा दिया गया है। कोर्ट ने इस पर शासन और शिक्षा विभाग को फटकार लगाई।

सुनवाई के दौरान शासन की ओर से कहा गया कि राज्य भर में प्राचार्यों के सैकड़ों पद खाली हैं। यह पद नहीं भरे गए तो नए शिक्षण सत्र में व्यवस्था और पढ़ाई पर असर पड़ सकता है। शासन ने प्राचार्य पद पर काउंसलिंग के साथ ही ज्वाइनिंग के आदेश देने की मांग की। याचिकाकर्ताओं ने इसका विरोध किया और कहा कि नया सत्र 16 जून से शुरू हो रहा है। हाईकोर्ट में ग्रीष्मकालीन अवकाश भी खत्म होने के बाद नियमित सुनवाई 9 जून से शुरू हो जाएगी। हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार किया और कहा कि 9 जून तक शासन पूरी रिपार्ट पेश करे। उसी दिन अंतिम सुनवाई के बाद ही मामले में अंतिम आदेश भी जारी कर दिया जाएगा।

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान शिक्षकों की ज्वाइनिंग का मुद्दा भी याचिकाकर्ताओं ने उठाया। बताया गया कि व्याख्याता से प्राचार्य पद की पदोन्नति पर 7 मई तक रोक थी। इसके बाद भी कई जिलों में ज्वाइनिंग जारी रही। बताया गया कि प्राचार्यों के प्रमोशन आदेश में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया था कि यह पदोन्नति हाईकोर्ट के आदेश के अधीन रहेगी। उसके बाद काउंसलिंग के जरिये डीपीआई पोस्टिंग करेंगे। इसके बाद भी कई जगहों पर प्राचार्य पद पर ज्वाईनिंग देकर पावती ले ली गई। इसमें डीईओ और व्याख्याताओं के मिलीभगत की बात भी उठाई गई। ऐसे शिक्षकों की निलंबन की मांग भी की गई। हाईकोर्ट ने रोक के बाद भी ज्वाइनिंग को गलत बताया और शासन से पूरी रिपोर्ट मांगी है। ज्ञात हो कि 30 अप्रैल को ही प्राचार्य प्रमोशन की सूची जारी की गई थी। इसके तहत छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के ई संवर्ग के 1524 एवं टी संवर्ग के 1401 कुल 2925 प्राचार्य के पदों पर स्कूल शिक्षा एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के व्याख्याता नियमित,व्याख्याता एल बी तथा प्रधान पाठक माध्यमिक विद्यालय को पदोन्नति प्रदान कर प्राचार्य बनाया था।

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