नाराज चीफ जस्टिस ने कहा- हमारा समय बर्बाद मत करिए, पर इतना समझ लीजिए जनता सब देख रही है


बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासा एयरपोर्ट को फोर सी कैटेगरी में अपग्रेड करना है। काम इतना विलंब से हो रहा है कि अंचलवासियों को एयरपोर्ट की सुविधा नहीं मिल पा रही है। आने वाले दिनों में बारिश का मौसम शुरू हो जाएगा। मौसम की खराबी और बारिश होने की स्थिति में उड़ान कैंसिल होने के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पीआईएल की सुनवाई के दौरान चीफ सिकरेट्री और विमानन सचिव के जवाब को सुनकर चीफ जस्टिस की नाराजगी खुलकर सामने आई।नाराज सीजे ने यहां तक कह दिया कि बनाना नहीं बनाना आपका काम है। हमारा समय बर्बाद मत करिए।
चीफ जस्टिस की नाराजगी सामने आने के बाद महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने स्थिति संभालने की कोशिश की और डिवीजन बेंच से स्थिति स्पष्ट करने के लिए जुलाई तक का समय देने की मांग की। जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस सिकरेट्री और विमानन सचिव के जवाब को पढ़कर हाई कोर्ट नाराज हुआ। जवाब में सेना से जमीन की वापसी और फोर सी एयरपोर्ट के लिए डीपीआर के संबंध में समयबद्ध कार्यक्रम बनाया ही नहीं गया है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव और सुदीप श्रीवास्तव ने डिवीजन बेंच को बताया की फोर सी एयरपोर्ट के लिए डीपीआर बनाने का निर्णय पहले ही हो चुका है और जिस प्रीफैिजिबिलिटी स्टडी की बात की जा रही है वह भी 2 वर्ष पूर्व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा की जा चुकी है। जमीन की वापसी के लिए 93 करोड़ रुपए का बजट आवंटन 2023 में किया गया था और राशि दे दी गई थी।
प्रति एकड़ दर में वृद्धि की मांग के कारण रक्षा मंत्रालय ने उस समय चेक का भुगतान नहीं कराया और फिर बाद में 287 एकड़ की जमीन के लिए 70 करोड रुपए की मांग की। यह मसला 2 साल से लंबित है। चीफ सिकरेट्री ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि वह रक्षा मंत्रालय द्वारा की गई मांग की वैधानिक जांच कराएंगे। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने कहा कि यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार की मंशा इस मामले को हल करने की नहीं है। जब तक जमीन नहीं मिलेगी तब तक रनवे विस्तार और बिलासपुर एयरपोर्ट के फोर सी एयरपोर्ट बनने की कोई संभावना नहीं है।
डिवीजन बेंच ने इस बात पर गहरी आपत्ति की कि बिलासपुर एयरपोर्ट को फोर सी बनाने की मांग कोई एडवर्सरियल लिटिगेशन नहीं है और स्वयं राज्य सरकार 2021 से लगातार विभिन्न अवसरों पर इसे अपग्रेड करने के बारे में अपना कमिटमेंट देती रही है। इसके बावजूद जो काम की गति है वह संतोषप्रद नहीं है। जिससे यह संदेश जाता है कि राज्य सरकार की मंशा बिलासपुर में फोर सी एयरपोर्ट बनाने की नहीं है और वह केवल लोगों को भ्रम में रखकर समय काट रही है। क्योंकि इस मामले की मॉनिटरिंग हाई कोर्ट के द्वारा की जा रही है अतः कार्य न होने पर यह एक तरह से हाई कोर्ट का समय बर्बाद करना है। और अगर यही रवैया है तो हाई कोर्ट इस मसले पर आगे कोई सुनवाई करने के लिए इच्छुक नहीं है।
राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक ठाकुर और यशवंत सिंह ठाकुर ने डिवीजन बेंच को संतुष्ट करने का प्रयास किया कि सरकार बिलासपुर एयरपोर्ट को फोर सी एयरपोर्ट में बदलने के अपने फैसले पर कायम है परंतु इसकी समय सीमा तय नहीं की जा सकती। इस पर भी नाराज होते हुए बेंच ने कहा कि क्या यह समय सीमा 10 साल या 20 साल होने वाली है। हर काम को करने के लिए एक रीजनेबल समय होता है वह समय सीमा देने के बजाय जिस तरह की बात राज्य सरकार कर रही है वह कहीं से भी संतुष्ट नहीं करती। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकार चाहती है कि बिलासपुर का एयरपोर्ट बंद हो जाए तो उसे बंद कर दिया जाए और लोगों को कह दिया जाए कि आप रायपुर जाइए और वहां से हवाई यात्रा करिए इस तरह से सभी को भ्रम में रखना उचित नहीं लगता।
राज्य सरकार की ओर से दो-दो अतिरिक्त महाधिवक्ताओं के द्वारा पैरवी करने पर जब स्थिति नहीं संभाली तब महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत में आगे आकर कहा कि या फिर प्रिफरेबेसिबिलिटी स्टडी की रिपोर्ट दो माह में हमें मिल जाएगी और हम जुलाई के महीने में बेहतर तरीके से इस मसले पर सभी प्रश्नों का उत्तर दे सकेंगे इसके लिए कम से कम हमें जुलाई तक का समय दिया जाए।
केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने कहा हमारी मांग के अनुरूप 80 करोड रुपए राज्य सरकार जमा कर दे तो हम 287 एकड़ जमीन का विधिवत हैंडोवर कर देंगे। इस पर याचिका कर्ताओं की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि इस जमीन पर काम करने की वर्किंग परमिशन पहले ही दी जा चुकी है परंतु राज्य सरकार द्वारा यह पैसा जमा न करने के कारण विधिवत हैंडओवर रुका हुआ है।