झारखंड से जुड़े आबकारी घोटाले के तार, दो आईएएस अधिकारी गिरफ्तार, 3 जून तक मिली न्यायिक रिमांड

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रायपुर| शराब घोटाला मामले में झारखंड के सीनियर IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे और उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेन्द्र सिंह से पूछताछ के बाद ACB टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। वहीं विनय चौबे को ACB की टीम कोर्ट लेकर पहुंची है। विनय चौबे और गजेन्द्र सिंह के खिलाफ ACB 9/2025 के तहत प्राथमिकी दर्ज किया गया है। दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा जाएगा। छत्तीसगढ़ EOW में भी इनके खिलाफ मामला दर्ज है।

बता दें कि एसीबी द्वारा रिमांड की मांग की गई है, जिसके बाद विनय चौबे को कोर्ट ने 3 जून तक न्यायिक हिरासत पर भेजा गया है। कोर्ट में पेशी के बाद विनय चौबे और गजेन्द्र सिंह को होटवार जेल भेज दिया गया है। दोनों को 15 दिनों तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। वहीं, विनय चौबे का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, ऐसे में स्वास्थ्य की जांच नियमित करने का निर्देश दिया गया है।

जानकारी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में शराब घोटाले को लेकर पहले से मामला दर्ज है। उसी जांच के दौरान झारखंड का नाम सामने आया और इसके बाद झारखंड ACB ने Preliminary Enquiry संख्या 27/9/2024 दर्ज की थी। प्रारंभिक जांच के बाद एसीबी ने नियमित प्राथमिकी दर्ज कर दी है और सरकार की अनुमति मिलने के बाद आईएएस चौबे से पूछताछ हो रही है।

बताया जा रहा है कि ईडी छत्तीसगढ़ ने स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के खिलाफ FIR दर्ज करने के बाद जांच शुरू की थी। जिसमें यह पाया गया कि अधिकारियों ने शराब कारोबारियों के साथ मिलकर सिंडिकेट बनाया और छत्तीसगढ़ सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया था। इस मामले में छत्तीसगढ़ ईडी ने वहां के आईएएस अफसरों समेत कई शराब कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी।

जांच के दौरान यह बात सामने आई कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को अंजाम देने वाले सिंडिकेट ने ही झारखंड में नई उत्पाद नीति बनवाई थी और झारखंड में भी शराब घोटाले को अंजाम दिया था। जिसके बाद छत्तीसगढ़ ईडी ने विनय चौबे को समन जारी कर पूछताछ के लिए छत्तीसगढ़ बुलाया था।

आईएएस विनय चौबे ने छत्तीसगढ़ ईडी द्वारा हुई पूछताछ के दौरान खुद को निर्दोष बताया और ईडी को दिए गए अपने बयान में कहा था कि नई उत्पाद नीति सरकार की सहमति के बाद लागू की गई थी। इसमें उनका कोई दोष नहीं है। इसके बाद झारखंड के एक व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा में एक प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। उसने छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट द्वारा ही झारखंड में शराब घोटाले को अंजाम देने का आरोप लगाया गया था। फिर ईडी झारखंड ने दर्ज इस प्राथमिकी को ECIR के रुप में दर्ज करने के बाद जांच शुरू की थी। अक्टूबर 2024 में ईडी ने विनय चौबे, गजेंद्र सिंह सहित अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की थी।