रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने सुप्रीम कोर्ट में पूर्व सांसद डा सुब्रमण्यम स्वामी ने दायर की जनहति याचिका…

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नईदिल्ली। पूर्व राज्यसभा सदस्य डा स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। दायर याचिका में पूर्व सांसद ने राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की मांग की है। याचिकाकर्ता डा स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि इसके लिए केंद्र सरकार को जरुरी दिशा निर्देश जारी करे।

याचकाकर्ता पूर्व सांसद डा स्वामी ने दायर जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की कि वह राम सेतु पुल को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने और राम सेतु को राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारक के रूप में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सर्वेक्षण कराने के लिए उनके आवेदन समय पर निर्णय ले। याचिकाकर्ता डा स्वामी ने अपनी याचिका में इस बात का भी जिक्र किया है कि केंद्र सरकार राम सेतु को किसी भी तरह के दुरुपयोग, प्रदूषण या अपवित्रता से बचाने के लिए बाध्य है। यह पुरातत्व स्थल राम सेतु को तीर्थस्थल मानने वाले लोगों की आस्था और श्रद्धा का विषय है।

डा स्वामी की एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में है लंबित

डॉ. स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य याचिका दायर की है। जिसमें सेतु समुद्रम शिप चैनल परियोजना के लिए वैकल्पिक मार्ग खोजने के लिए प्रतिवादियों को परमादेश देने की मांग की गई ताकि ड्रेजिंग आदि के कारण ऐतिहासिक राम सेतु को नुकसान न पहुंचे, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।

इस परियोजना के तहत व्यापक ड्रेजिंग द्वारा मन्नार और पाक जलडमरूमध्य को जोड़ने वाली 83 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जानी थी। इस परियोजना का राम सेतु पर प्रभाव पड़ने का आरोप है। जनवरी, 2023 में कोर्ट ने राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा देने की मांग करने वाले मामले में दायर एक आवेदन पर विचार किया।

सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि संस्कृति मंत्रालय में ‘राम सेतु’ को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा देने पर विचार करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा, एसजी तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि डॉ. स्वामी मंत्रालय के समक्ष एक अभ्यावेदन करें। केंद्र सरकार के जवाब के बाद जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने निराकृत कर दिया था।

याचिकाकर्ता डा स्वामी को सुप्रीम कोर्ट ने दी थी छूट, डा स्वामी ने दोबारा खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पीआईएल को निराकृत कर दिया था। कोर्ट ने डॉ. स्वामी को स्वतंत्रता दी गई कि यदि वे उनके अभ्यावेदन पर केंद्र सरकार द्वारा लिए गए निर्णय से व्यथित होने की स्थिति में अपने कानूनी उपायों का लाभ उठा सकते हैं। 27.जनवरी.2023 और 13.मई 2025 को अभ्यावेदन देने के बाद पूर्व सांसद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दावा किया कि मंत्रालय द्वारा आज तक उन्हें या कोर्ट को अभ्यावेदन पर कोई निर्णय नहीं बताया गया है।