पद को छुपाकर काउंसलिंग, शिक्षकों ने किया जमकर हंगामा, धरने पर बैठे…


रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोरबा में पद को छुपाकर काउंसलिंग करने के विरोध में जिले के शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है। शिक्षकों ने मनमाने ढंग से लिस्ट जारी कर भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार व दलाली का आरोप लगाया है। शिक्षकों के प्रदर्शन समर्थन शिक्षक साझा मंच के प्रदेश संचालक विरेंद्र दुबे और संजय शर्मा ने किया।

वीरेंद्र दुबे ने प्रशासन के ऊपर आरोप लगाया है कि कलेक्टर मनमाने ढंग से लिस्ट जारी किया है, रिक्त पदों को छिपाया जा रहा है, भाई भतीजावाद, भ्रष्टाचार, दलाल सक्रिय है व पारदर्शिता का अभाव है, उन्होंने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग किया है कि कुछ अधिकारी उनकी छवि खराब कर रहे है…
शिक्षक साझा मंच के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने आरोप लगाया है की शिक्षा विभाग में काउंसलिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है। अधिकारी मनमर्जी कर रहे हैं, इसका साफ उदाहरण एक डीईओ के द्वारा अपनी पत्नी को बहाल कर सुरक्षित जगह में पदस्थापना करना है। आज कोरबा में काउंसलिंग है लेकिन जो आसपास के पद है उसको छुपाया गया है, रिक्त पदों को पूर्व से प्रकाशित नहीं किया गया है।
संजय शर्मा प्रदेश संचालक ने शिक्षा सचिव से आग्रह किया है की युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पारदर्शिता पूर्वक पूर्ण नहीं की जा रही है, इसलिए इस पर आवश्यक निर्देश जारी किया जाए, उन्होंने आगे कहा है अतिशेष की सूची प्रकाशित हुए बिना ही काउंसलिंग का तिथि निर्धारित किया जा रहा है।
अतिशेष की सूची आज भी कई जिलों में प्रकाशित नहीं हुआ है और एक, दो और तीन मई को काउंसलिंग करने की तिथि प्रकाशित हो चुका है, गुप्त सूची बनाकर क्या घालमेल किया जा रहा है,?
साफ जाहिर है कि पारदर्शिता का प्रत्येक जिले में पूर्णतः अभाव है और यही कारण है की सूची को जारी करने के बाद दावा आपत्ति का समय नही दिया जा रहा है, शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय स्कूलों के साथ जिन स्कूलों में पोस्टिंग किया जाना है उनकी सूची सोशल साइट पर और कार्यालय के बाहर चस्पा किया जाना चाहिए।
काउंसलिंग के दौरान सारे पदों को सार्वजनिक करना चाहिए, प्रथमतः जिनका नाम काउंसलिंग में बुलाया जा रहा है उन्हें ही एकल शिक्षकीय व शिक्षक विहीन शालाओं में पोस्टिंग किया जाना चाहिए।
ऐसी प्रक्रिया का भी पालन नहीं हो रहा है इससे यह स्पष्ट हो रहा है की जिला में अधिकारी लीपा पोती करने पर आमादा है प्रत्येक जिला में जिला जिला शिक्षा अधिकारी इस पर मनमर्जी कर रहे हैं, हालांकि जिम्मेदारी जिलाधीश को दिया गया है लेकिन इस पर अपेक्षित पारदर्शिता का अभाव प्रत्येक जिले में है।
आज भी प्रदेश के अधिकांश जिले में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के पालन हेतु अतिशेष की सूची का प्रकाशन नहीं हुआ है और सभी जगह से यह खबर आ रही है कि एक दो और तीन मई को काउंसलिंग रखा गया है जबकि जिन स्कूलों में पोस्टिंग किया जाना है उन्हें भी सार्वजनिक रूप से बाहर नहीं दिखाया जा रहा है। जिला शिक्षा की हठधर्मिता, बेलगाम और गलत प्रणाली पर कार्य करने का उदाहरण है।
प्रक्रिया में सुधार व पारदर्शिता के बिना पूरे प्रदेश के शिक्षको को परेशान किया जा रहा हैं और अधिकारी मनमर्जी कर रहे हैं, इसकी जबरदस्त खिलाफत पूरे प्रदेश में की जाएगी।