UIDAI और चिप्स की मनमानी! 1346 ऑपरेटरों पर लगाया लगभग ढाई करोड़ का जुर्माना, गलती बताए बिना पेनाल्टी वसूलना गलत

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भिलाई। प्रदेश में आधार कार्ड बनाने में नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के द्वारा जारी गाइडलाइन का उल्लंघन किया जा रहा है। नियमों को दरकिनार कर आधार कार्ड बनाने के लिए ऑपरेटर्स आवेदन कर रहे हैं। नियम विरुद्ध और गलत तरीके से किए गए आवेदनों को यूआईडीएआई निरस्त कर देता है। इसकी वजह से छत्तीसगढ़ में पिछले एक साल में 24 हजार से ज्यादा आधार आवेदन रिजेक्ट हुए हैं। इसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी हुई है। इसे देखते हुए यूआईडीएआई ने छत्तीसगढ़ के 1346 से ज्यादा आधार ऑपरेटर्स पर करीब ढ़ाई करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही भविष्य में आधार कार्ड बनाने में नियमों का उल्लंघन न करने की सख्त हिदायत भी दी है।

छत्तीसगढ़ में 2 हजार से ज्यादा आधार सेंटर है। इन आधार सेंटरों में आधार कार्ड बनवाने आम से लेकर खास सभी व्यक्ति को काम पड़ता है। अक्सर यह होता है कि आधार सेंटर से किसी आधार कार्ड बनवाने आवेदन भरते समय जानकारी के अभाव में या गलत जानकारी भरने से आवेदन रिजेक्ट हो जाता है। ऐसे में हितग्राही अनावश्यक रूप से परेशान होते हैं। अब यूआईडीएआई की ओर से ऐसे आधार सेंटरों पर जुर्माना लगाया गया है। वहीं इसके उलट अब आधार ऑपरेटर्स इस पेनाल्टी को जबरिया वसूली बता रहे हैं। उनका कहना है कि कौन से आवेदन रिजेक्ट हुए, किस कारण से रिजेक्ट हुए, इन सभी कारणों और संख्या का उल्लेख किये बिना 1 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाना गलत है। ऐसे दर्जनों संचालक हैं जिनपर 1 लाख रुपए के उपर जुर्माना लगाया गया है। इससे आधार ऑपरेटर्स को आर्थिक नुकसान होगा।

छत्तीसगढ़ में आधार कार्ड बनाने के मामले में चिप्स ने प्रदेश के 1346 ऑपरेटरों पर करीब ढ़ाई करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। बताया जा रहा है कि यह पेनाल्टी यूआईडीएआई की ओर से लगाई गई है। लेकिन इसकी वसूली चिप्स को करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लेकिन दूसरी ओर प्रदेश के आधार ऑपरेटर्स का कहना है कि यह मानसिक प्रताडि़त करने जैसी स्थिति है। आधार ऑपरेटर्स के किस पैकेट में कौन सी गलती हुई, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है। यहां तक की किस वजह से आवेदन रिजेक्ट हुए हैं, इसकी भी जानकारी नहीं दी गई है। केवल पेनाल्टी की राशि और संचालक का नाम भेजकर जुर्माना भरने के लिए दवाब बनाना गलत है। बता दें कि चिप्स की ओर से प्रदेश के आधार ऑपरेटर्स की सूची पेनाल्टी के साथ जारी की गई है। इसमें बताया गया है कि नियमों का उल्लंघन आधार ऑपरेटर्स द्वारा किया गया है। इसकी वजह से उन पर जुर्माना लगाया गया है। लेकिन कौन से नियम का उल्लंघ कितनी बार किया गया है, और किस आधार पर जुर्माना लगाया गया है, इसका कोई उल्लेख नहीं है। ऐसे में अब प्रदेश भर में संचालित आधार सेंटर संचालक इस मामले को लेकर चिप्स सीईओ से मुलाकात करेंगे।

मुलाकात के बाद क्या निष्कर्ष निकलता है उसके आधार पर ऑपरेटर संघ निर्णय लेगा कि क्या करना है। अगर उचित परिणाम नही निकलता है तो ऑपरेटरों ने फिर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की मंशा जाहिर की है। ऐसा होता है तो जनता जर्नादन को आधार कार्ड में अपडेट को लेकर भारी दिक्कतों को सामना करना पड़ सकता है।

छत्तीसगढ़ आधार सेवा समिति के पदाधिकारी ने कहा कि पिछले 4 साल से न पेमेंट मिला है न ही पेमेंट का डिटेल अब तक हमें नहीं दिया गया है। नया और मेंडेटरी आधार कार्ड बनाने के लिए भी हमें वर्षों से भुगतान नहीं किया जा रहा है। जबकि इसका पैसा शासन यूआईडीएआई को भेजती है। यूआईडीएआई से चिप्स के पास आता है। लेकिन आधार सेंटर संचालकों को इसका भुगतान नहीं मिला है। इस मामले में लगातार चिप्स ऑपरेटर्स को गुमराह कर रहा है।

यूआईडीएआई के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का उल्लंघन कर आधार के लिए आवेदन करने वाले ऑपरेटरों पर जुर्माना लगाया गया है। इसमें 1346 आधार सेंटरों को पेनाल्टी जमा करने नोटिस भेजा गया है। इन संचालकों की लापरवाही से आधार कार्ड बनाने की वजह से 24 हजार 707 आवेदन रिजेक्ट हुए हैं। इस वजह से इन पर 2 करोड़ 47 लाख 59 हजार 260 रुपए का जुर्माना लगाया गया है।

आधार के लिए आवेदन किए जाने के बाद अगर वह रिजेक्ट होता है तो इस स्थिति में आधार बनाने वाले ऑपरेटर पर 1 हजार का जुर्माना लगाया जाता है। यह पहले महज 50 रुपए था। लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 1000 रुपए कर दिया गया है। बता दें कि अब नवजात शिशु का भी आधार कार्ड बनवाना अनिवार्य है। क्योंकि आधार के माध्यम से ही अब सरकारी व गैरसरकारी सेवाओं का लाभ मिलता है। लेकिन यहां जो पेनाल्टी की सूची जारी की गई है उसमें 1 रूपए, 2 रूपए और 3 रुपए का भी जुर्माना लगाया है जो समझ से परे है।

हम 50 रुपए में आधार कार्ड का काम करते हैं। लेकिन एक ही पैकेट में गलती होने पर 1 हजार से लेकर 50 हजार रुपए पेनाल्टी का प्रावधान किया गया है, यह कहां तक सही है। पहले 50 रुपए पेनाल्टी का नियम था, इसे अब 1 हजार रुपए कर दिया गया है। लेकिन किस पैकेट में क्या गलती है, किस महीने में कितना आवेदन निरस्त हुआ है, हमें इसकी भी जानकारी देना मुनासिब नही समझते। दूसरे का पेनाल्टी दूसरे को सौंप दिया गया है। इसमें बंदरबांट किया गया है। इसमें केन्द्र और राज्य के अधिकारियों की क्या भूमिका है यह तो निष्पक्ष जांच का विषय है। पेनाल्टी के साथ-साथ हमारा पिछले 4 साल के पेमेंट का डिटेल भी भेजना चाहिए। हम इसका विरोध करेंगे।