दो सालों से डेंगू से एक भी मौत नहीं हुई, प्रशासनिक सजगता और लोगों के सहयोग के चलते जीती बड़ी जंग
डेंगू नियंत्रण के मामले में शानदार सफलता, इस बार अक्टूबर महीने में एक भी केस डेंगू के नहीं आये
दुर्ग। दो साल पहले डेंगू के दंश ने पूरे जिले को हिलाकर रख दिया था। भिलाई-खुर्सीपार के कई वार्ड आक्रांत थे, प्रशासन ने डेंगू नियंत्रण को लेकर व्यापक मुहिम चलाई थी। इसके बाद दो सालों में डेंगू के नियंत्रण के लिए व्यापक रोकथाम कार्यक्रम किये गए। अब इसकी सफलता पूरी तरह मुकम्मल हुई है। अक्टूबर महीना जाते हुए मानसून का वक्त होता है। पानी छोटे-छोटे गड्ढों में जमा होता है गर्मी की वजह से लोग कूलर चलाते हैं और इसका नतीजा होता है कि डेंगू के लार्वा पनपने के लिए अवसर मिलता है। इस बार व्यापक अभियान की सफलता इस मायने में है कि अक्टूबर महीने में डेंगू का एक भी मामला 23 अक्टूबर तक नहीं आया है। सीएमएचओ डाॅ. गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर महीने में भी डेंगू नियंत्रण पर प्रभावी कार्य हुआ था और केवल 18 मामले आये थे। इस बार कोई मामला नहीं आया। यदि पूरे साल के आंकड़े लें तो पिछले साल एलिजा टेस्ट में 115 मामले डेंगू के आये थे। इस बार डेंगू के 12 मामले सामने आये। इनमें मई महीने में 10 मामले सामने आये थे। मई महीने में डेंगू के मरीज के चिन्हांकित होते ही तेजी से टेमीफास वितरण एवं फागिंग की कार्रवाई शुरू की गई। साथ ही कूलर आदि खाली कराने का व्यापक अभियान छेड़ा गया। इसका अच्छा असर हुआ और जून महीने में केवल एक ही डेंगू का केस सामने आया। सीएमएचओ ने बताया कि कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने हाटस्पाट एरिया में विशेष टीम लगाई थी जिन्होंने लगातार सक्रिय रूप से काम किया, इसका असर हुआ और नियमित रूप से टेमीफास के वितरण, छिड़काव से काफी लाभ हुआ। इसमें भिलाई नगर निगम की भूमिका भी अहम रही। आयुक्त ऋतुराज रघुवंशी ने इसके लिए पृथक से टीम हाटस्पाट एरिया में लगाई गई। भिलाई निगम टीम ने इस अवधि में लगभग सोलह हजार कूलर चेक किये और टेमीफास का छिड़काव किया। इसके अलावा मेलाथियान और स्प्रेयर पंप से सोडियम हाइपो क्लोराइड घोल का छिड़काव भी किया गया।
साल भर का लेखाजोखा- इस साल निगम एवं स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम बनाई गई और इन्होंने व्यापक निरीक्षण किया। इस साल एक लाख पैंतालीस हजार घरों में निगम का अमला पहुंचा। हर चीज ध्यान से देखी। एक लाख पंद्रह हजार कूलर एवं पानी टंकी का निरीक्षण किया गया। चैवालीस हजार कूलर एवं पानी टंकी से पुराना पानी खाली कराया गया। लगभग पचास हजार घरों में टेमीफास का वितरण किया गया। साथ ही 71 हजार घरों में पैंफलेट वितरण भी किया गया जिसमें डेंगू के पनपने के कारणों एवं इससे बचाव के उपायों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई थी।
कोविड नियंत्रण के साथ डेंगू के रोकथाम पर भी होता रहा काम- प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोविड नियंत्रण को लेकर थी और हेल्थ का बड़ा अमला इस कार्य के लिए लगा हुआ था। इसके बावजूद डेंगू नियंत्रण कार्यक्रम पर प्रभावी रूप से कार्यान्वयन हुआ। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने आयुक्त ऋतुराज रघुवंशी के साथ लगातार डेंगू के हाटस्पाट माने जाने वाले इलाकों का दौरा किया। इन इलाकों में लोगों से मिलकर डेंगू नियंत्रण कार्यक्रम की जमीनी स्थिति जानी। अक्टूबर महीने में जो अच्छे नतीजे आए हैं। वे इन पांच महीनों की कड़ी मेहनत का प्रतिफल हैं और भविष्य में हाटस्पाट में डेंगू की जड़ों के कमजोर होने का संकेत भी।