कृषि कानून और धान खरीदी में देरी से नाराज किसानों का प्रदेश व्यापी प्रदर्शन, दुर्ग और बालोद के हजारों अन्नदाता उतरे सड़क पर
दुर्ग: केंद्र के कृषि कानून और प्रदेश में धान खरीदी में देरी से नाराज किसानों ने प्रदेशभर में गुरुवार को चक्काजाम कर दिया है। दुर्ग व बालोद जिले के किसान छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन की अगुवाई में दुर्ग जिला मुख्यालय के मिनीमाता चौक पर चक्काजाम करने पहुंचे। बड़ी संख्या में किसान हाथों में तख्ती और झंडा लेकर मिनीमाता चौक पर एकत्रित हुए। मिनी माता की परिक्रमा करते हुए अपनी आवाज बुलंद की। संगठन के नेताओं के मुताबिक खेती की व्यस्तता के बाद भी चक्काजाम में एक हजार से ज्यादा किसान जुटे हैं।
छत्तीसगढ़ के किसान, केंद्र के कृषि कानून से सहमत नहीं है। इसके विरोध में देशभर के किसान संगठनों ने 5 नवंबर को आंदोलन का ऐलान किया है। इसके साथ ही प्रदेश के किसान यहां धान खरीदी में देरी का विरोध कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि मोदी सरकार कार्पोरेट के हित में काम कर रही है। केंद्र सरकार और भाजपा, किसानों को गुमराह कर रही है कि केंद्र ने अपनी उपज कहीं भी अपने भाव में अपनी उपज बेचने के लिए किसानों को आजादी दिया है। जबकि सच्चाई यह है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी नहीं होने के कारण किसानों को कहीं भी उपज बेचने पर एमएसपी मूल्य का लाभ नहीं मिलेगा। दूसरी ओर किसानों का कहना है कि जब केंद्र सरकार इस साल राज्य से अधिक चावल खरीद रही है तब राज्य सरकार को प्रति एकड़ 20 क्विंटल की दर से धान की खरीदी तत्काल शुरू करना चाहिए। इसके अलावा एक दिसंबर के बजाए तत्काल धान की खरीदी शुरू किया जाना चाहिए। इन मुद्दों को लेकर महीनेभर से आंदोलन की तैयारी चल रही है।
साजा-पाटन में चौपाल नहीं होने देने का आरोप
इधर आंदोलन से पहले किसानों ने साजा और पाटन में आयोजित चौपाल को पुलिस द्वारा रोके जाने का आरोप लगाया है। संगठन के संयोजक राजकुमार गुप्ता ने बताया कि साजा में चौपाल के आयोजक किसानों को बैठक नहीं करने दिया गया। इसी तरह पाटन के गाड़ाडीह में भी पुलिस ने बैठक में अडंगा लगाया।
रखी चार मुख्य मांगें
किसानों ने 5 नवंबर को सुबह 10 से शाम 4 बजे तक मिनीमाता चौक पर चक्काजाम का किया है। जिसके माध्यम से केंद्र व राज्य सरकारों के समक्ष चार मांगे रखी गई हैं। इनमें केंद्र से न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और खेती में लागत मूल्य में 50 फीसदी जोड़कर दोगुना समर्थन मूल्य की घोषणा की मांग की जाए। इसी तरह राज्य से तत्काल व 20 क्विंटल धान खरीदी और चना व गेहूं की सरकारी खरीदी की मांग की गई है।