किसान संगठनों की आज दोपहर दो बजे बैठक, सरकार के वार्ता के नए प्रस्ताव पर संगठन आज ले सकते फैसला
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन, किसानों का आंदोलन आज 32वां दिन है। सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं है। सरकार के वार्ता के नए प्रस्ताव पर किसान संगठन आज फैसला ले सकते हैं। किसान संगठनों ने शुक्रवार को भी इस पर विचार किया था। सरकार को उम्मीद है कि दो-तीन दिनों में किसानों के साथ बातचीत शुरू हो सकती है।
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के 31वें दिन किसानों ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की सभी लाइनों को बंद कर दिया है। युवा किसान सड़क पर बैठकर लगातार नारेबाजी कर रहे हैं। सरकार से कानूनों को वापस लेने के मांग उठ रही है।
धारूहेड़ा फ्लाईओवर के नीचे – यहां पर वाहन चालक भगत सिंह चौक, टपुकड़ा, तिजारा, किशनगढ़ से अलवर होते हुए जयपुर जा सकते हैं।
मसानी पुल – यदि वाहन चालक मसानी बैराज के पास फंसे हुए हैं तो उन्हें रेवाड़ी शहर होते हुए कुंड, नारनौल, नांगल चौधरी, पनियाला मोड से कोटपुतली होते हुए जयपुर जाने का रास्ता मिल सकता है। रेवाड़ी-गुरुग्राम सीमा के कापड़ीवास बॉर्डर पर-दिल्ली-जयपुर हाईवे पर गुरुग्राम की ओर से आने वाले वाहनों को आकेड़ा-भिवाड़ी-तीजार-अलवर की तरफ डायवर्ट किया जा रहा है। यहां से अलवर होते हुए वाहन चालक जयपुर जा सकते हैं। इसके लिए 100 किमी. तक ज्यादा दूरी तय करनी पड़ सकती है।
किसान आंदोलन के चलते दिल्ली-जयपुर हाईवे 48 पर हरियाणा-राजस्थान सीमा के खेड़ा बॉर्डर से लेकर गुरुग्राम तक जाम की स्थिति है। जाम से बचने के लिए डायवर्जन प्वाइंट की जानकारी होना जरूरी है गाज़ीपुर (दिल्ली-यूपी) बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए सिंघु बॉर्डर की तरह दूसरी टेंट सिटी तैयार की गई है।
कृषि कानूनों को जब तक रद्द नहीं किया जाता तब तक हम यहीं बैठे रहेंगे – प्रदर्शनकारी
कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाता तब तक हम यहीं बैठे रहेंगे। चाहें एक साल या उससे अधिक समय लग जाएं।। कृषि कानूनों के खिलाफ बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में किसान अभी भी डटे हुए हैं।
मिट्टी का कण-कण गूंज रहा है, सरकार को सुनना पड़ेगा -राहुल गांधी
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हम आतंकवादी नहीं किसान हैं
सिंघु बॉर्डर से एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि मोदी सरकार से विनती है कि ये तीनों काले कानूनों को रद्द करें। जो लोग हमें आतंकवादी कह रहे हैं हम आतंकवादी नहीं हैं.. जब हम हिंदुओं के लिए लड़ते हैं तब हम फरिश्ते और जब हम अपने लिए लड़ रहें तो हमें आतंकवादी बोल दिया जाता है..हम आतंकवादी नहीं किसान हैं।
सरकार के पत्र व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर आज 26 दिसबंर को दोपहर 2 बजे सयुंक्त किसान मोर्चा की मीटिंग उसी हॉल में (कजारिया टाइल्स, कुंडली, सिंघु बॉर्डर) आयोजित की जाएगी। वहीं, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के एक अधिकारी ने भी कहा कि सरकार को उम्मीद है कि अगले दौर की बैठक दो-तीन दिनों में हो सकती है। प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं में से एक ने नाम उजागर नहीं करने की इच्छा के साथ कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की उनकी मांग बनी रहेगी।
संगठनों में से कुछ ने संकेत दिया कि वे मौजूदा गतिरोध का हल खोजने के लिए केंद्र के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला कर सकते हैं। यूनियनों ने कहा कि आज उनकी एक और बैठक होगी जिसमें ठहरी हुई बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए केंद्र के न्यौते पर कोई औपचारिक फैसला किया जाएगा। किसान नेता ने कहा, सरकार के पत्र में कोई प्रस्ताव नहीं है। हमें लगता है कि सरकार हमारी मांगों को समझ नहीं पाई है। इसलिए संभव है कि हम नए सिरे से बातचीत शुरू कर सकते हैं ताकि सरकार अपनी मांगें ठीक से समझा दें। उन्होंने कहा, तीनों कानून रद्द करने की मांग से एमएसपी को अलग नहीं कर सकते। एक अन्य किसान नेता ने कहा, इन कानूनों में निजी मंडियों का जिक्र है। यह कौन सुनिश्चित करेगा कि हमारी फसलों को एमएसपी पर खरीदा जाएगा। शुक्रवार को कई किसान संगठनों ने चर्चा की लेकिन कोई फैसला नहीं लिया जा सका।
गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए टेंट सिटी तैयार