अंतरराष्ट्रीय व्यंग्य संकलन में छत्तीसगढ़ से 12 रचनाकार चुने गए

अंतरराष्ट्रीय व्यंग्य संकलन में गुलबीर, विनोद और हफीज सहित कई

भिलाई। सदी के सर्वश्रेष्ठ व्यंग्य संचयन में देश और विदेशों के व्यंग्यकारों की 251 रचनाओं का चयन अंतरारष्ट्रीय स्तर की एक प्रतियोगिता के जरिए किया गया है। इसमें छत्तीसगढ़ से 12 रचनाकार चुने गए हैं। व्यंग्यकार डॉ लालित्य ललित व डॉ राजेश कुमार ने यह व्यंग्य संचयन तैयार किया है। इसमें छत्तीसगढ़ से शामिल रचनाकारों में मुख्य रूप से अख्तर अली,कुबेर,गुलबीर सिंह भाटिया, भरत चंदानी, मिर्ज़ा हफीज़ बेग,रतन जैसवानी,राजशेखर चौबे,विनोद साव,वीरेन्द्र सरल,सुशील यादव,के.पी. सक्सेना ‘दूसरे’ और सौरभ जैन शामिल हैं।

इंडिया नेटबुक्स के निदेशक डॉ संजीव कुमार ने बताया कि इस संकलन को तैयार करने के दौरान मॉरीशस में स्थित विश्व हिंदी सचिवालय ने विश्व को पाँच हिस्सों में बाँटकर अंतरराष्ट्रीय व्यंग्य लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया और उन विजेताओं में से सभी प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले व्यंग्यकारों तथा और भी अन्य विजेताओं की रचनाएँ प्राप्त करके इस संकलन में शामिल की गई हैं। इनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चयनित रचनाकारों में कुसुम नैपसिक (अमेरिका), मधु कुमारी चौरसिया (युनाइटेड किंगडम), वीणा सिन्हा (नेपाल), चांदनी रामधनी ‘लवना’ (मॉरीशस), राकेश शर्मा (भारत) जिन्होंने प्रथम पुरस्कार जीते, और आस्था नवल (अमेरिका), धर्मपाल महेंद्र जैन (कनाडा), रोहित कुमार ‘हैप्पी’ (न्यू ज़ीलैंड), रीता कौशल (ऑस्ट्रेलिया) ने अन्य पुरस्कार हासिल किए। इनके अलावा विदेशों से शामिल होने वाले व्यंग्यकार में तेजेन्द्र शर्मा (युनाइटेड किंगडम), प्रीता व्यास (न्यूज़ीलैंड), स्नेहा देव (दुबई), शैलजा सक्सेना, समीर लाल ‘समीर’, हरि कादियानी (कनाडा) और हरिहर झा (ऑस्ट्रेलिया) शामिल हैं। डॉ लालित्य ललित ने जानकारी दी कि भारत से इस संकलन में 19 राज्यों और केंद्र प्रशासित प्रदेशों के व्यंग्यकारों ने शिरकत की है। इनमें से सबसे अधिक व्यंग्य के पुरोधा हरिशंकर परसाई के राज्य मध्य प्रदेश से 66 फिर उत्तर प्रदेश से 39, नई दिल्ली से 31, राजस्थान से 32,महाराष्ट्र से 18, छत्तीसगढ़ से 12, हिमाचल प्रदेश से 9, बिहार से 6, हरियाणा,झारखंड, कर्नाटक व उत्तराखंड से प्रत्येक से 4, चंडीगढ़ से 3, पंजाब, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना से प्रत्येक से 2 और तमिलनाडु ,गोवा और जम्मू व काश्मीर मेें प्रत्येक से एक हैं। डॉ संजीव कुमार ने बताया कि संचयन चंद दिनों में प्रकाशित होकर पाठकों के सम्मुख होगा।