विश्व कर्ण दिवस पर श्रवण जागरूकता सप्ताह का आयोजन आज से

 

रायपुर। राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीपीसीडी ) के अंतर्गत 3 से 10 मार्च तक विश्व श्रवण दिवस मनाया जा रहा है। इस वर्ष विश्व श्रवण दिवस 2021 की थीम “ हिअरिंग केयर फॉर ऑल– जाँच, पुनर्वासऔर संवाद” पर आधारित है। इस सप्ताह के दौरानसभी सीएचसी, पीएचसी और जिला अस्पताल में लोगों को कर्ण रोग के बारे में बताया जाएगा। साथ ही प्रदेश के सभी जिलों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस दौरान कान की देखभाल केप्रति जागरूकता लाने हेतु शिविर भी लगाए जायेंगे। कर्ण रोग से बचाव एवं इसके उपचार की जानकारी को जनसामान्य तक विभिन्न माध्यमों से पहुंचाने के लिए व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार किया जाएगा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के मार्गदर्शन में जिला अस्पतालों में निःशुल्क कर्ण जांच शिविर का आयोजन किया जाएगा।

एनपीपीसीडी के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने बताया,“लोगों को कानों से संबंधित बीमारियों के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती। ऐसे में 3 मार्च को स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभियान शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए जिले की सभी मितानिन और ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों को भी ट्रेनिंग दी गई है। ये अपने क्षेत्र के कानों की समस्या से पीड़ित लोगों को नजदीकी सरकारी अस्पताल में लेकर जाएंगी और उपचार कराएंगी। ताकि लोग अधिक से अधिक संख्या में इस शिविर का लाभ ले सकें। शिविर में नाक, कान, गला रोग चिकित्सक अधिकारी, ऑडियोलाजिस्ट द्वारा मरीजों की जांच की जाएगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्वे अनुसार भारत में लगभग 6.3 करोड़ लोग बधिरता रोग से पीड़ित है। देश की कुल जनसंख्या के अनुरुप प्रभावित दर 6.3 प्रतिशत है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संख्या के सर्वे 2001 के अनुसार प्रति लाख आबादी पर 291 व्यक्ति ऐसे है जो कि बधिरता रोग से पीड़ित है जिसमें शून्य से 14 बच्चे अधिक प्रभावित हैं। इन आंकड़ों पर यदि ध्यान नहीं दिया गया तो मानवीय विकास के साथ साथ प्रदेश के विकास में भी बाधा उत्पन्न कर सकती है। उन्होंने बताया, वर्ष 2020-21 में माह जनवरी 2021 तक कर्ण से संबंधित 73,708 रोगियों कीजांच की गयी है जिसमें से 3,395 बधिर रोग से ग्रसित है। इसमें से 797 रोगियों की माईनर सर्जरी व 15 लोगों की मेजर सर्जरी की गयी है। वहीँ 440 लोगों को हियरिंग ऐड तथा 648 लोगों को स्पीच थैरपी दी गई है”।

राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने बताया,“राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम के प्राथमिक स्तर पर उपचार मुहैया कराने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर में रोगियों का चयन किया जाएगा। इसके बाद कर्ण रोगियों को जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जटिल रोगों व ऑपरेशन के लिए रेफर किया जाएगा। ऐसे बच्चे जिनकों जन्म से ही बधिरता है उन बच्चों  के लिए कॉक्लियर इम्प्लांट की सुविधा छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के माध्यम से कराई जाती है। जागरुकता सप्ताह के दौरान बधिरता से प्रभावित लोगों को जिला अस्पताल में बधिरता से संबंधित दिव्यांगता का प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाएगा। जिलों में बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए राज्य स्तर पर ईएनटी/पीजीएमओं चिकित्सकों तथा ऑडियोलॉजिस्ट यूनिट को कार्यक्रम की मार्गदर्शिका अनुरुप प्रशिक्षित किया गया है।

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