दर्दनाक हादसा: गड्ढे में जहरीली गैस बनने से 3 सगे भाइयो सहित पांच की मौत, माता-पिता बेसुध
आगरा:- फतेहाबाद के परतापुरा गांव के रहने वाले किसान सुरेंद्र शर्मा के घर के बाहर हुए हादसे ने परिवार का वंश ही उजाड़ दिया। तीन बेटों हरिमोहन, अविनाश और अनुराग की मौत के बाद सुरेंद्र और उनकी पत्नी राधा बेसुध हैं। उन्हें गांव के लोग संभाल रहे हैं। वह एक ही बात कह रहे हैं कि अब कौन सहारा बनेगा। कौन बुढ़ापे की लाठी बनेगा। गांव में रात में चूल्हे तक नहीं जले।
सुरेंद्र शर्मा किसान हैं। उनका सबसे बड़ा बेटा हरिमोहन फतेहाबाद के डीएलएमएस इंटर कालेज में कक्षा 11 और दूसरे नंबर का बेटा अविनाश हाईस्कूल में पढ़ता था, जबकि सबसे छोटा अनुराग एनसी कान्वेंट स्कूल में कक्षा छह का छात्र था। तीनों बेटे ही पढ़ाई में अव्वल थे। मां-बाप के कामकाज में हाथ बंटाते थे। अनुराग मां का लाडला था। तीनों बेटों के गड्ढे में गिरने पर मां राधा ने शोर मचाया था। इस पर गांव के लोग आ गए। खेत पर सुरेंद्र काम करने गए थे। वह भी बाद में आए। तीनों बेटों के निकलने के बाद सांसें भी नहीं चल रही थीं। इस पर मां का दिल बैठ गया। वह बेहोश होकर गिर पड़ी। वहीं पिता सुरेंद्र शर्मा भी बेसुध हो गए। मां को गांव की महिलाएं और पिता को लोग संभाल रहे थे। गांव के लोग एक ही बात बोल रहे थे कि हादसे ने सुरेंद्र की दुनिया ही उजाड़ दी। उसका अब कोई वंश नहीं रहा। तीनों बेटों की अर्थी एक साथ ही उठेंगी।
सुरेंद्र की पत्नी राधा बेटों की मौत की खबर से बेहोश हो गईं। वह जब भी होश में आईं, तब एक ही बात बोल रही थीं कि मेरे लाडलों तुम कहां चले गए। अब कौन मुझे मां कहकर पुकारेगा। किसको मैं बेटा कहकर बुलाऊंगी। अब तो कोई सहारा भी नहीं है। पिता को कौन खेतों पर लेकर जाएगा। काम में कौन हाथ बंटाएगा। मेरे बेटों एक बार लौटकर आ जाओ। मैं फिर कभी तुम्हें अपने पास से दूर नहीं जाने दूूंगी। मां का कलेजा ही फटा जा रहा था। मां का हाल देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं। राधा को महिलाएं किसी तरह संभाल रही थीं। यही कुछ हाल पिता सुरेंद्र का भी था। वह भी आंसू बहा रहे थे।
सुरेंद्र के भाई बड़े भाई भूरी सिंह की 11 महीने पहले हालत बिगड़ गई थी। इस पर परिजन अस्पताल ले जा रहे थे। मगर, कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन लगा था। इस कारण भूरी सिंह को भर्ती नहीं कराया जा सका था। उनकी मौत हो गई थी। अब सुरेंद्र का कोई भाई नहीं है। बेटों की मौत हो गई।
पीड़ित परिवार की हरंसभव मदद की जाएगी
एसएसपी बबलू कुमार का कहना था कि दर्दनाक हादसे में पांच की जान गई है। पीड़ित परिवार की हरंसभव मदद की जाएगी। गड्ढे में जहरीली गैस बनने से हादसा हुआ। पुराने सेप्टिक टैंक के बगल खोदे गए गड्ढे में पानी का रिसाव हुआ था। इस रिसाव को रोकने के लिए एक मृतक पहुंचा था। बाद में बाकी आए। सभी की मौत हो गई। पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को पूर्ण कराने के लिए पुलिसकर्मियों को लगाया गया है। रात में ही सभी प्रक्रिया पूरी कराई है।
हादसे में सुरेंद्र शर्मा के पड़ोस में रहने वाले चचेरे भाई रामसेवक शर्मा के बेटे सोनू शर्मा की भी मौत हुई है। भाई मोनू शर्मा ने बताया कि पिता रामसेवक की मौत हो चुकी है। भाई सोनू पढ़ाई में तेज था। उसने बीएससी के बाद हरिद्वार में योग पीठ से योग में पीएचडी की थी। उसकी शादी नहीं हुई थी। घरवाले उसका रिश्ता तय करने की सोच रहे थे। वह फिरोजाबाद स्थित यूनानी अस्पताल में योग ट्रेनर था। रोजाना अस्पताल गांव से जाता था। गांव मेें वह हर किसी की मदद करता था। चचेरे भाइयों को बचाने के लिए वह आया था। मगर, मौत ने उसे भी अपने आगोश में ले लिया। उसकी मौत से परिवार में कोहराम मचा हुआ है। सोनू के बड़े भाई रामकुमार, श्याम सुंदर और छोटा मोनू है। उनकी एक बहन नीरज है।
रामखिलाड़ी की गांव में परचून की दुकान है। उनका बेटा योगेश कक्षा 11 का छात्र था। वह पढ़ाई के साथ ही पिता के साथ दुकान पर बैठता था। खेत पर भी जाता था। योगेश सुरेंद्र के तीनों बेटों और सोनू के गड्ढे में गिरने की जानकारी पर पहुंचा था। वह बचाने के लिए उतरा था। मगर, वह भी बेहोश होकर गिर गया।
पोस्टमार्टम हाउस पर मौजूद गांव परतापुरा निवासी उमाशंकर ने बताया कि हादसे की जानकारी पर पहुंच गए। उन्हें पहले पता था कि सेप्टिक टैंक में गैस बनती है। यह जहरीली होती है। पुराने कुएं की सफाई के बारे में वह जानते थे। सबसे पहले खाली बाल्टी रस्सी से बांधकर डाली जाती थी। ऐसा करने से कुएं में बनी गैस की परत टूट जाती थी। गड्ढे में पांचों बच्चों के गिरने पर पर ऐसा ही किया। खाली बाल्टी से पानी हिलाया। इसके बाद बाल्टी बाहर निकाल ली। इसके बाद मरने वाले सोनू के भाई मोनू की कमर में रस्सी बांध दी। वह नीचे उतरा। वह नीचे गया। इसके बाद सब को निकाला। उमाशंकर का कहना था कि पांचों के गिरने के बाद जानकारी मिली थी। अगर, पहले वाले के बेहोश होने पर ही पता चल जाता तो वह बाकी को नीचे नहीं उतरने देते।