वर्ल्ड कप 1992 में भारत की हार के बाद फूट-फूटकर रोए थे गौतम गंभीर
भारत के पूर्व ओपनर गौतम गंभीर ने शु्क्रवार को खुलासा किया कि वो साल 1992 में हुए वर्ल्ड कप में भारतीय क्रिकेट टीम की हार से काफी दुखी हुए थे। इस हार के बाद वो फूट-फूटकर रोए थे। उस दिन उन्होंने फैसला लिया था कि वो भारत को एक दिन वर्ल्ड कप का खिताब दिलाएंगे। गौरतलब है कि भारत ने 1983 के बाद 28 बाद वनडे वर्ल्ड कप जीता था। गंभीर वर्ल्ड कप 2011 जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे। उन्होंने फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ 97 रनों की पारी खेली थी।
न्यूज एजेंसी एनआई से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी स्मृति में वर्ल्डकप की पहली यादें ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में साल 1992 में हुआ वर्ल्ड कप है। भारत के खराब प्रदर्शन ने उनकी आंखों में आंसू ला दिए थे। इसके बाद उनके चचेरे भाइयों और दोस्तों ने उनका मजाक उड़ाया था। उस दिन उन्होंने संकल्प लिया कि वो एक दिन भारत के लिए वर्ल्डकप जीतेंगे। गंभीर ने इस पर बात करते हुआ आगे कहा कि मेरा जन्म साल 1981 में हुआ था और वर्ल्डकप की मेरी पहली बड़ी यादें 1992 की हैं। रंगीन कपड़ो में व्हाइट बॉल के साथ ये टूर्नामेंट खेला गया था। भारत के टूर्नामेंट से बाहर होने पर मैं बहुत रोया था। मेरे चचेरे भाईयों और कुछ दोस्तों ने मेरा मजाक उड़ाया। एक बच्चे के तौर पर इसे मैं बहुत आहत हुआ और मैंने फैसला किया कि मैं एक दिन भारत के लिए वर्ल्ड कप जीतूंगा।
गंभीर ने कहा कि कभी-कभी उन्हें लगता था कि वो देश के लिए वर्ल्ड कप नहीं खेल पाएंगे। लेकिन साल 2011 में उनको ये मौका मिला। 2011 तक मैंने पचास ओवर का वर्ल्ड कप नहीं खेला था और कभी-कभी लगता था कि मैं अपने सपने को महसूस नहीं कर पा रहा हूं। मुझे खुशी है कि 2 अप्रैल 2011 हमारी जिंदगी में आया, क्योंकि उस दिन हर भारतीय ने वर्ल्ड कप जीता। गंभीर तब 29 साल के थे और फाइनल में उन्होंने जीत में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 97 रन बनाने के साथ उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी के साथ 109 रन की महत्वरपूर्ण साझेदारी की। धोनी के नाबाद 91 रन की बदौलत भारत ने श्रीलंका के दिए 275 रन का लक्ष्य हासिल किया और खिताब जीता।