बचपन के दोस्त ने कायम की मिसाल, 1300 किमी दूर से ‘संजीवनी’ लेकर पहुंचा

नई दिल्ली/रांची । कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा दी है। वहीं दूसरी ओर एक-दूसरे की मदद करने वालों की एक से बढ़कर एक कहानियां सामने आई हैं। ऐसी ही मिसाल रांची के देवेंद्र कुमार शर्मा ने पेश की है। देवेंद्र ने अपने दोस्त की जान बचाने के लिए कार से 24 घंटे में 1300 किलोमीटर से अधिक दूसरी का सफर तय कर ऑक्सीजन पहुंचाई। रांची में रह रहे देवेंद्र को 24 अप्रैल रात वैशाली गाजियाबाद में रहने वाले संजय सक्सेना का फोन आया कि कोरोना संक्रमित राजन के लिए ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है और यहां ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं हो पा रहा है। सिर्फ एक दिन के लिए ऑक्सीजन बची है। संजय सक्सेना के घर पर ही राजन का इलाज चल रहा है।

राजन की जिंदगी पर बन आई

देवेंद्र और राजन के एक और मित्र संजीव सुमन की 19 अप्रैल को नोएडा में कोरोना से मौत हो गई। राजन और संजीव सुमन का फ्लैट नोएडा की एक ही सोसायटी में है। संजीव सुमन की मौत के बाद कोरोना संक्रमित हुए राजन बहुत घबरा गए थे। उन्होंने नोएडा और दिल्ली के अस्पतालों में बेड के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन कहीं बेड नहीं मिला। इसके बाद राजन ने पुराने परिचित संजय सक्सेना को सब बताया। संजय सक्सेना ही फिर उन्हें अपने घर वैशाली ले गए और वहीं उनका इलाज होने लगा।

ऑक्सीजन सिलेंडर लेने पहुंचे बोकारो
24 अप्रैल को संजय सक्सेना की घबराई आवाज सुनकर देवेंद्र इस उधेड़बुन में लग गए कि बचपन के जिगरी दोस्त राजन के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम कहां से किया जाए। देवेंद्र रात में ही बाइक से रांची से 150 किलोमीटर दूर बोकारो के लिए निकल पड़े। देवेंद्र और राजन दोनों के परिवार मूल रूप से बोकारो के ही रहने वाले हैं। बोकारो पहुंचते ही देवेंद्र ने सिलेंडर की तलाश शुरू कर दी। जब कहीं काम नहीं बना, तब देवेंद्र ने झारखंड गैस प्लांट के मालिक राकेश कुमार गुप्ता से संपर्क किया। आखिरकार वहां से सिलेंडर मिल गया।

सांसों के लिए संघर्ष कर रहे दोस्त के लिए ‘संजीवनी’ लेकर पहुंचे देवेंद्र 
देवेंद्र के हाथ में ऑक्सीजन सिलेंडर तो आया गया, लेकिन उसे करीब 1300 किलोमीटर दूर वैशाली, गाजियाबाद समय पर पहुंचाना भी पहाड़ जैसा था। इसके लिए देवेंद्र ने अपने एक परिचित से कार मांगी और रविवार दोपहर को खुद ही ड्राइव करते हुए वैशाली गाजियाबाद के लिए निकल पड़े। रास्ते में ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर चेकिंग के दौरान उनसे सवाल भी किए गए। इस पर उन्हें बताना पड़ा कि उनकी दोस्त की जिंदगी का सवाल है। करीब 24 घंटे बाद सोमवार को वे अपने दोस्त राजन के पास पहुंच गए। राजन सांसों के लिए संघर्ष कर रही रहे थे कि दोस्त ने सही समय पर ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाकर उसकी जान बचा ली। अब राजन की हालत पहले से बेहतर है।

बता दें कि देवेंद्र और राजन दोनों ही बोकारो में साथ पले बढ़े। आगे की पढ़ाई के लिए वो दिल्ली आ गए। यहां संजय सक्सेना ने दोनों के लिए केयरटेकर की भूमिका निभाई थी। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद देवेंद्र इंश्योरेंस और राजन आईटी सेक्टर में जॉब करने लगे।दोनों की उम्र 34-34 साल है। राजन अपनी पत्नी के साथ नोएडा में रहते हैं जबकि अविवाहित देवेंद्र राची में कार्यरत है। दोनों के परिवारों के बाकी सदस्य अब भी बोकारो में रहते हैं। देवेंद्र का अब यही कहना है कि जब तक उनका दोस्त पूरी तरह ठीक नहीं हो जाता, वो बोकारो नहीं लौटेंगे। वाकई ये दोस्ती बेमिसाल है।

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