कोरोना काल में अपने भी हुए पराए, कंधा देने पड़ोसी-रिश्तेदार भी नहीं आ रहे आगे
नई दिल्ली /जौनपुर:- कोरोना काल में जहां एक तरफ अपने भी पराए हो जा रहे हैं, शव को कंधा देने के लिए पड़ोसी-रिश्तेदार भी आगे नहीं आ रहे। ऐसे समय मे जौनपुर की पुलिस ने इंसानियत की मिसाल पेश की है। कोरोना से मृत पत्नी के अंतिम संस्कार में सहयोग के लिए गांव से चार कंधे नहीं मिले तो पति साइकिल पर ही शव रखकर नदी किनारे चल पड़ा। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने न सिर्फ कंधा दिया, बल्कि अंतिम संस्कार के लिए सामान और शव घाट तक पहुंचाने के लिए वाहन भी उपलब्ध कराया। मामला मड़ियाहूं कोतवाली क्षेत्र के अम्बरपुर गांव का है।
गांव निवासी तिलकधारी सिंह की पत्नी राजकुमारी (56) ने जिला अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। एंबुलेंस से शव लेकर तिलकधारी गांव पहुंचे। अंतिम संस्कार के लिए शव घाट तक ले जाने में पड़ोसियों का सहयोग मांगा, लेकिन कोरोना से मौत बताकर कोई भी आगे नहीं आया। हालात के आगे बेबस तिलकधारी को और कोई उपाय नहीं दिखा तो पत्नी के शव को अपनी साइकिल पर रखकर अकेले ही अंतिम संस्कार करने की ठान ली।
वह साइकिल पर शव लेकर गांव में नदी के किनारे पहुंचे। दाह संस्कार करने के लिए अभी चिता भी नहीं लगा पाए थे कि गांव के लोगों ने शव जलाने से मना कर दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मौके पर जाकर तिलकधारी सिंह की सहायता की। शव के लिए टिकठी बनवाई, उसे कंधा दिलाया और फिर वाहन की व्यवस्था कर शव को रामघाट तक भेजवाया।
अंतिम संस्कार के लिए पैसे भी मुहैया कराया। इस संबंध में सीओ मड़ियाहूं संत कुमार ने बताया कि घटना की सूचना पर पुलिस पहुंच गई थी। पुलिस ने तिलकधारी सिंह की सहायता की। शव के लिए गाड़ी का इंतजाम भी कराया गया। इसके अलावा अंतिम क्रिया के लिए शव को जौनपुर के रामघाट पर भेजवाया गया। पुलिसकर्मियों का प्रयास सराहनीय है।
15 घंटे तक घर में पड़े रहे माता-पिता के शव, लाचार बेटा मांगता रहा मदद
लोग इस कदर डरे हुए हैं कि आपदा के समय किसी की मदद करने के लिए भी तैयार नहीं हैं। बुराड़ी इलाके में लक्ष्मण तिवारी नामक युवक के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उसका पूरा परिवार कोरोना संक्रमित हो गया। चंद ही घंटों के फासले में माता-पिता दोनों की मौत हो गई, पत्नी अस्पताल में जिंदगी के लिए जंग लड़ रही है। ऐसे समय में लक्ष्मण ने माता-पिता के अंतिम संस्कार के लिए पड़ोसियों व रिश्तेदारों से मदद मांगी तो कोई उनकी मदद को सामने नहीं आया। 15 घंटे तक घर में शव पड़े रहे। पुरानी दिल्ली में एनजीओ चलाने वाले सादिक ओर इर्तिजा को पता चला तो उन्होंने किसी तरह पुलिस पर दबाव बनाकर बुजुर्ग दंपती के शव का अंतिम संस्कार करवाया।
जानकारी के अनुसार मूलरूप से गाजीपुर, यूपी के रहने वाले लक्ष्मण तिवारी अपने परिवार के साथ 71-72, शक्ति एंक्लेव बुराड़ी में रहते हैं। इनके परिवार में 80 वर्षीय पिता, 67 वर्षीय माता के अलावा पत्नी और चार साल का बेटा है। पिछले कुछ दिनों से घर में सभी की तबीयत खराब थी। तबीयत ज्यादा खराब हुई तो लक्ष्मण की पत्नी को बुराड़ी के एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। घर में माता-पिता की तबीयत भी खराब थी। सोमवार अचानक मां की ऑक्सीजन कम होने लगी। शाम पांच बजे पहले मां की मौत हुई, देर रात एक बजे पिता भी चल बसे। खुद कोरोना पॉजिटिव होने के बाद लक्ष्मण ने लोगों से मदद मांगी। पड़ोसी और रिश्तेदार कोई भी मदद को तैयार नहीं हुए। एनजीओ चलाने वाले इर्तिजा कुरैशी और सादिक अहमद को पता चला तो वह लक्ष्मण के घर पहुंचे।
एंबुलेंस चालकों से बातचीत की गई तो इन लोगों ने निगम बोध घाट शव पहुंचाने के 25 हजार रुपये की मांग की। पुलिस ने भी हाथ खड़े कर दिए। सुबह के समय मीडिया और दूसरे लोगों के दबाव में पुलिस मदद को तैयार हुई। हालांकि पुलिस अधिकारी ऐसे आरोपों से इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि सुबह नौ बजे उनको सूचना मिली। मौके पर बुराड़ी थाने के एएसआई सुखबिर और सिपाही प्रदीप को भेजा गया। इन लोगों ने शवों को निगम बोध घाट पहुंचाने का इंतजाम किया। इसके बाद खुद लक्ष्मण तिवारी ने माता-पिता की अंतिम क्रियाकर्म किया।