बड़ी खबर: कोरोना के साथ अब ब्लैक फंगस का अटैक, दुर्ग जिले में 19 नए मरीजों की पुष्टि
दुर्ग। कोरोना के साथ अब जिले में ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) का अटैक हो गया है। बुधवार को सेक्टर-9 में एक मरीज की इस बीमारी से मौत की पुष्टि के बाद पूरे जिले में इसे लेकर हड़कंप मचा हुआ है। जिले में 19 नए मरीजों की पहचान हुई है। इस समय 9 कन्फर्म केस और 4 संदिग्ध मरीज का सेक्टर-9 हॉस्पिटल के एच-0 से 7 वार्ड में इलाज चल रहा है। क्रिटिकल हुए चार अन्य मरीजों को यहां से एम्स रायपुर रेफर कर दिया गया है। अब तक जितने भी मामले सामने आए हैं, उनमें से अधिकांश कोरोना से रिकवर होने के बाद ही ब्लैक फंगस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। यही नहीं कोरोना से रिकवरी के बाद घर पर इलाज ले रही सुपेला की आई सर्जन भी इससे संक्रमित हो गई हैं।
जानकारी मिली कि परिजन उन्हें बेहतर उपचार के लिए मुंबई ले जाया गया है। इन मरीजों के अलावा एक मरीज स्पर्श अस्पताल में भी भर्ती हैं। ब्लैक फंगस के सिमटम दिखने पर उसे उड़ीसा से यहां भर्ती कराया गया है। इस मरीज की जांच रिपोर्ट अभी नहीं आई है। इलाज कर रहे डॉक्टर संभावित केस मान रहे हैं। खास बात यह है कि जितने भी मामले सामने आए हैं, उन्हें कोविड हुआ। इसके बाद जब वे रिकवर हो रहे थे, तभी उनमें ब्लैक फंगस वायरस का इन्फेक्शन हुआ। इसे बहुत खतरनाक माना जा रहा है। आंख और मस्तिष्क में इसका सबसे अधिक असर हो रहा।
ब्लैक फंगस क्या व कितना खतरा
म्यूकोरमाइकोसिस नाम की बीमारी को ब्लैक फंगस कहते हैं। नॉक के अंदर (साइनोसाइटिस) में नमी और जगह होने से इसके स्वत: डेवलप होने की आशंका रहती है। नाक से शुरू होकर यह अंदर जहां-जहां जगह मिलती है, फैलती जाती है। यह पहले आंख और आगे मस्तिष्क तक पहुंच जाती है। यह इतना तेजी से होता है, कि इसे रोकना संभव नहीं हो पाता।
ब्लैक फंगस के दो प्रमुख कारण
ब्लैक फंगस को प्रमुख कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना और नमी मिलना है। कोरोना के इलाज में स्टेरायड देने से जहां प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, वहीं ह्यूमिडिटी फायर में डिस्टिल वॉटर की जगह टैप वॉटर डालने से नमी ज्यादा पहुंचती है। ऐसे में फंगस को दोनों का सहयोग मिल जाता है। वह डेवलप हो जाता है। कैंसर पेशेंट अक्सर इसकी चपेट में आते हैं।
कैसे जानें कि हमें कहीं ब्लैक फंगस तो नहीं
नाक के ऊपरी हिस्से में काल धब्बे और आगे गहरे घाव बन जाना, चेहरे पर एक तरफ सूजन होना, सिर दर्द होना, साइनस की दिक्कत, तेज बुखार, खांसी, सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, स्किन पर फुंसी या छाले, इंफेक्शन वाली जगह काली होना, आंखों में दर्द, धुंधला दिखाई देना, पेट दर्द और उल्टी या मिचली महसूस होना।