भगवान बुद्ध ने दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाया, गौतम बुद्ध के दस संदेश…

नईदिल्ली । वैशाख माह में पूर्णिमा के दिन बुद्ध पूर्णिमा का पावन त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ। भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इस पूर्णिमा को सत्यव्रत पूर्णिमा भी कहा जाता है। बुद्ध पूर्णिमा को प्रकश उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन अन्न दान का विशेष महत्व है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ। हिंदू धर्म में मान्यता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर में सुख-शांति और खुशहाली आती है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ-सफाई करें।

घर के मुख्य द्वार पर रोली, हल्दी या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। इस दिन बोधि वृक्ष के सामने दीपक जलाएं और उसकी जड़ों में दूध अर्पित करें। जरूरतमंदों को भोजन व वस्त्र आदि दान करें। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें। बुद्ध पूर्णिमा के दिन धार्मिक स्थलों पर बौद्ध ध्वज फहराया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा पर पिंजरे में कैद पक्षियों एवं पशुओं को आजाद किया जाता है। बिहार स्थित बोधगया में सिद्धार्थ ने कठोर तप किया और वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई। भगवान बुद्ध ने अहिंसा और सत्य का मार्ग अपनाया और उन्होंने पूरी दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाया।

संसार की विरोधाभासी प्रकृति के बीच आत्मबल हमें आत्मिक शांति की राह दिखाता है। बुद्ध के संदेश हमें इसी राह पर ले जाते हैं। गौतम बुद्ध की शिक्षाएं आत्मिक उन्नति से लेकर सामाजिक हितों तक के संदर्भ में हर युग में सार्थक हैं। बुद्ध विष्णु के दशावतार हैं और शांति के विश्व देव भी।

सत्य-असत्य, शुभ-अशुभ, अतीत-वर्तमान-भविष्य, ये ऐसे शब्द हैं जिनसे हम सदा ही जूझते हैं। इन शब्दों के बीच सदा ही द्वंद्व रहा है। कटु सत्य यह भी है कि हम आज तक इन शब्दों की कसौटी पर खरे नहीं उतरे। बुद्ध पूर्णिमा इन्हीं सवालों का उत्तर मांगती है। यह केवल इसलिए नहीं कि इस दिन बौद्ध धर्म के सूत्रधार और संचालक भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, बल्कि इसलिए भी कि इसी से जीवन का संदेश मिलता है।

आत्मबल किसको नहीं चाहिए। आज कोरोना अवधि में इसी आत्मबल की तो हर तरफ तलाश है। आत्मबल को मजबूत करने का संदेश भगवान बुद्ध ने बरसों पहले दिया था। वैशाख मासी पूर्णिमा बुद्ध पूर्णिमा के रूप में ख्यात है। भगवान विष्णु के दशावतार में भगवान बुद्ध को माना जाता है। एक अवतार कल्कि अवतार संभावित है, जो कलियुग के अंत में माना गया है। भगवान विष्णु के समस्त अवतार लोक कल्याण के लिए धरती पर हुए। भगवान विष्णु को प्रकृति का संयोजक और पालक कहा गया है। यानी उनकी भूमिका पालनहार की है। उनके अवतारों में दो स्वरूप राम और कृष्ण इसको प्रतिपादित भी करते हैं। राम के रूप में उन्होंने मर्यादा और आदर्श की नींव रखी तो श्रीकृष्ण के रूप में उन्होंने योग, राजयोग और कर्मयोग का सिद्धांत प्रतिपादित किया। इसी कर्मयोग सिद्धांत को भगवान बुद्ध ने आगे बढ़ाया और सामाजिक मूल्यों की स्थापना की। अतीत की ओर मत देखो-भविष्य की ओर देखो…जैसे संदेश
युगीन हैं।
गौतम बुद्ध के दस संदेश
1- जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से बेहतर स्वयं पर विजय प्राप्त करना है। अगर यह कर लिया तो फिर जीत हमेशा ही तुम्हारी होगी, इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता।
2- किसी भी हालत में इन तीन चीजों को कभी नहीं छुपाया जा सकता हैं और वो हैं सूर्य, चन्द्रमा और सत्य।
3- जीवन में किसी उद्देश्य या लक्ष्य तक पहुंचने से अधिक महत्वपूर्ण उस यात्रा को अच्छे से संपन्न करना होता है।
4- बुराई को बुराई से खत्म नहीं किया जा सकता, घृणा को केवल प्रेम द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है, यह एक अटूट सत्य है।
5- सत्य के मार्ग पर चलते हुए मनुष्य केवल दो ही गलतियां कर सकता हैं -पहली या तो पूरा रास्ता न तय करना, दूसरी या फिर शुरुआत ही न करना।
6- भविष्य के बारे में मत सोचो और अतीत में मत उलझो, सिर्फ वर्तमान पर ध्यान दो, जीवन में खुश रहने का यही एक सही मार्ग है।
7- खुशियां हमेशा बांटने से बढ़ती हैं, जैसे कि एक जलते हुए दीपक से हजारों दीपक रोशन किए जा सकते हैं फिर भी उस दीपक की रोशनी कम नहीं होती।
8-आप चाहें जितनी भी अच्छी किताबें पढ़ लें, कितने भी अच्छे शब्द सुन लें, मगर जब तक आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते तब तक उसका कोई लाभ नहीं।
9- हमेशा क्रोधित रहना, ठीक उसी तरह है, जैसे जलते हुए कोयले को किसी दूसरे पर फेंकने की इच्छा से खुद पकड़ कर रखना, यह क्रोध सबसे पहले आपको ही जलाता है।
10- क्रोधित होकर हजारों गलत शब्द बोलने से अच्छा, मौन का वह एक शब्द है, जो जीवन में शांति लाता है।

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

रीसेंट पोस्ट्स