जिले में ब्लैक फंगस के 28 मरीज, अब तक 3 की हो चुकी मौत
दुर्ग:- जिले में ब्लैक फंगस तेजी से फैल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी के मरीजों की संख्या 148 के करीब पहुंच चुकी है। सबसे ज्यादा दुर्ग जिले में 28 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है जबकि 3 की मौत भी हो चुकी है। कोरोना संक्रमण के बाद अब इस बीमारी ने स्वास्थ्य विभाग के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दीं हैं।
ब्लैक फंगस से मौत
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, राज्य में दो जिलों में अब तक ब्लैक फंगस से 5 मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें रायपुर में 4 और एक दुर्ग के भिलाई का मरीज शामिल है। वहीं दुर्ग के CMHO के मुताबिक, दुर्ग में तीन मरीजों की मौत हुई है। संभाग के बालोद, बेमेतरा व कवर्धा जिलों में अभी तक ब्लैक फंगस के मरीज मिलने की पुष्टि नहीं हुई है। दुर्ग के 28 मरीजों में से 14 रायपुर के AIIMS में, 12 भिलाई स्टील प्लांट (BSP) के सेक्टर-9 अस्पताल में इलाज करा रहे हैं, जबकि जिले के निजी अस्पताल में दो मरीजों का इलाज जारी है।
ब्लैक फंगस है खतरनाक
आंख, नाक, कान और गला रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि यहां ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए दवाईयों की कमी है। इसके अलावा अन्य जगहों के मोर्टेलिटी रेट के बराबर ही यहां पर असर है। यह बीमारी बहुत ही खतरनाक है। ज्यादातर कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में ही ज्यादा हो रही है। यह बीमारी उत्तर भारत में ज्यादा होती है,क्योंकि वहां के लोग खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं। छत्तीसगढ़ में यह बीमारी बहुत कम होती है। हर साल करीब 4 से 6 ही मरीज यहां मिलते थे। इस बार यह बीमारी कुछ ज्यादा ही फैल रही है।
क्या है ब्लैक फंगस
ये ज्यादातर उन लोगों को होता है जिन्हें पहले से कोई बीमारी हो या वो ऐसी मेडिसिन ले रहे हों जो बॉडी की इम्युनिटी को कम करती हों या शरीर की दूसरी बीमारियों से लड़ने की ताकत कम करती हों। ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। ज्यादातर सांस के जरिए वातावरण में मौजूद फंगस हमारे शरीर में पहुंचते हैं। अगर शरीर में किसी तरह का घाव है या शरीर कहीं जल गया तो वहां से भी ये इन्फेक्शन शरीर में फैल सकता है। इसे शुरुआती दौर में ही डिटेक्ट नहीं किया गया तो आंखों की रोशनी जा सकती है।
बचाव- ब्लैक फंगस संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टरों ने कुछ उपाय बताए हैं। उसके मुताबिक धूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढंक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहन कर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रख कर इससे बचा जा सकता है।