कोविड प्रभावित पालकों एवं बच्चों की मदद के लिए बनाया गया चाइल्ड हेल्प डेस्क जारी

रायपुर। कोविड-19 महामारी के समय में बच्चों की देखभाल और संरक्षण की ओर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है। इस परिस्थिति में पालको एवं बच्चों के मन की आशंकाओं को दूर करने के लिए उचित परामर्श और सही सहारा मिलना जरूरी हैं। इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ शासन ने कोविड 19 के कारण पालकों और अभिभावकों से वंचित होने वाले बच्चों तथा ऐसे बच्चों की देखभाल में असमर्थ पालकों की सहायता के लिए चाइल्ड हेल्पडेस्क स्थापित कर टोल फ्री विशेष हेल्पलाइन नंबर 1800-572-3969 प्रारम्भ किया है। हेल्पलाइन में संपर्क कर प्रतिदिन प्रातः 8 बजे से रात्रि 11 बजे तक कोरोना पीड़ित बच्चों के आश्रय, संरक्षण के संबंध में सही जानकारी एवं समुचित परामर्श लिया जा सकता है।

महिला एंव बाल विकास विभाग द्वारा संचालित इस हेल्पडेस्क के माध्यम से कोविड प्रभावित बच्चों एवं पालकों के मानसिक तनाव सहित अन्य आशंकाओं को दूर किया जा रहा है। इसके अलावा चाइल्ड लाइन 1098 एवं महिला हेल्पलाइन 181 पर भी संपर्क किया जा सकता हैं। व्हाट्सएप्प नंबर 9301450180 पर भी संदेश प्रेषित कर इन हेल्पडेस्क के माध्यम से बच्चों के आश्रय, संरक्षण के संबंध में सही जानकारी एवं समुचित परामर्श लिया जा सकता है। कोई भी जरूरतमंद बच्चा, पालक, रिश्तेदार, आम नागरिक इन नंबरों पर सम्पर्क कर जरूरतमंद बच्चों की सहायता कर सकते हैं। इसके साथ ही ऐसे बच्चे जिनके पालकों की मृत्यु काविड-19 के संक्रमण से हो चुकी है तथा ऐसे बच्चे जिनके पालक कोविड-19 से संक्रमित है, के बेहतर इलाज और उनके सम्पूर्ण आवश्यक देखरेख के लिए प्रत्येक जिले में बाल देखरेख संस्थाएं-फिट फेसेलिटी चिन्हांकित की गई हैं, जो बच्चों की देखभाल हेतु सुलभ है।

अधिकारियों ने बताया कि बाल देखरेख संस्थाओं में कार्यरत पदाधिकारियों, स्टॉफ, परामर्शदाताओं को संवाद कार्यक्रम के माध्यम से संवेदिकृत किया जा रहा है ताकि बच्चों की प्रभावी देखभाल की जा सके। राज्य में संचालित बाल देखरेख संस्थाओं में बच्चों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाने हेतु समस्त प्रोटोकाल का पालन किया जा रहा है। सभी बाल देखरेख संस्थाओं में थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर, मास्क, सेनेटाइजर आदि की सम्पूर्ण व्यवस्था की गई है। प्रत्येक अस्पताल में जिला बाल संरक्षण समिति के सदस्यों के संपर्क नम्बर और हेल्पलाईन की जानकारी दे दी गई है ताकि बच्चों को त्वरित सहायता उपलब्ध हो सके।