देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5.066 अरब डॉलर से बढ़कर 608.999 रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा

नई दिल्ली । 25 जून 2021 को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5.066 अरब डॉलर बढ़कर 608.999 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के मुताबिक 18 जून को समाप्त इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.418 अरब डॉलर की कमी के साथ 603.933 अरब डॉलर रह गया था।
रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़े के मुताबिक 25 जून को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि की वजह विदेशी मुद्रा संपत्तियों (एफसीए) में हुई बढ़ोतरी है जो समग्र भंडार का एक प्रमुख घटक है। इस दौरान एफसीए 4.7 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 566.24 अरब डॉलर हो गई। डॉलर के लिहाज से बताई जाने वाली विदेशी मुद्रा संपत्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है।

36.5 करोड़ डॉलर बढ़ा सोने का भंडार
आंकड़े के मुताबिक इस दौरान सोने का भंडार 36.5 करोड़ डॉलर की वृद्धि के साथ 36.296 अरब डॉलर हो गया। वहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पास मौजूद विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) में 1.498 अरब डॉलर पर कोई बदलाव नहीं हुआ। रिजर्व बैंक ने बताया कि आलोच्य सप्ताह के दौरान आईएमएफ के पास मौजूद भारत के भंडार में मामूली वृद्धि हुई। यह 10 लाख डॉलर बढ़कर 4.965 अरब डॉलर हो गया।

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पडऩे पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के बड़े फायदे

साल 1991 में देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। तब सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है, जो इसका सबसे बड़ा फायदा है। अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं। सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीद का निर्णय भी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावी भूमिका निभा सकता है।

रीसेंट पोस्ट्स