चार साल का बच्चा कोरोना पॉजिटिव, खांसी जुकाम के साथ पेट में भरा पानी

नोएडा :- करीब एक माह के बाद मंगलवार को नोएडा के चाइल्ड पीजीआई में चार वर्षीय बच्चे को कोरोना संक्रमित होने पर भर्ती कराया गया है। बच्चे में लक्षण दिखने के बाद परिजनों ने जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद उसे सेक्टर-29 स्थित भारद्वाज अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में हालत नाजुक होने से उसे सेक्टर-30 स्थित सुपर स्पेशियलिटी पीडियाट्रिक एंड पोस्ट ग्रेजुएट टीचिंग इंस्टीट्यूट (चाइल्ड पीजीआई) में रेफर कर दिया गया।

लंबे समय बाद कोरोना का बाल रोगी मिलने के बाद अस्पताल एवं स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क हो गए हैं। मरीज का सैंपल दोबारा जांच के लिए भी भेजा गया है। साथ ही, उसके माता-पिता व संपर्क में आए लोगों की भी आरटीपीसीआर जांच कराई जा रही है।

चाइल्ड पीजीआई की निदेशक डॉ. ज्योत्सना मदान ने बताया कि बच्चा दोपहर करीब एक बजे अस्पताल में लाया गया, जिसके बाद उसकी तात्कालिक स्थिति को देखते हुए वार्ड में भर्ती करा दिया गया। बच्चे को तेज बुखार, खांसी-जुकाम है। साथ ही, पेट में पानी भर गया है।

राहत की बात यह है कि बच्चे का ऑक्सीजन लेवल नियंत्रण में है। बच्चे की देखभाल के लिए विशेष टीम लगाई गई है। बच्चे कोराना के वैरिएंट का पता लगाने के लिए नमूना इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की जांच लैब में भेजा जाएगा।

वहीं, मंगलवार को गौतम बुद्ध नगर जनपद में कोविड-19 के पांच नए मरीज पाए गए जबकि पांच मरीजों को स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। जनपद में अभी 41 मरीज उपचाराधीन हैं।

डेल्टा प्लस जैसे वैरिएंट की जिले में हो सकेगी जांच
गौतमबुद्ध नगर में आने वाले समय में जिले में ही डेल्टा प्लस जैसे खतरनाक कोविड-19 वैरिएंट के बारे में जानकारी मिल सकेगी। सब कुछ ठीक रहा तो तीन माह में राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में जीनोम सीक्वेंसिंग लैब बनेगी।

लंबे इंतजार के बाद शासन ने जीनोम लैब के फंड देने के लिए मंजूरी दे दी है। जिम्स में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विवेक गुप्ता ने बताया कि जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन के लिए दो करोड़ रुपये की राशि की व्यवस्था है। लैब में इसके साथ आने वाले उपकरणों के लिए भी राशि की जरूरत पड़ेगी। इसकी जल्द ही शासन से मांग की जाएगी।

जिम्स में जीनोम पर रिसर्च करने के लिए वैज्ञानिकों की अच्छी टीम मौजूद है। ऐसे में वर्ष 2020 में कोविड की लहर आने के बाद ही यहां पर जीनोम रिसर्च लैब की आवश्यकता जताई जा रही थी। जिससे अल्फा, डेल्टा, डेल्टा प्लस जैसे वैरिएंट का पता लगाकर उसकी रोकथाम की योजना बनाई जा सके। लैब के लिए कई बार अमर उजाला की ओर से मुद्दा उठाने के बाद शासन ने इस पर संज्ञान लिया है।