कर्नाटक: बसवराज बोम्मई बने राज्य के नए मुख्यमंत्री, राज्यपाल ने दिलाई शपथ

बैंगलोर (एजेंसी)। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता बसवराज बोम्मई ने कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने उन्हें गोपनीयता की शपथ दिलाई। जानकारी के अनुसार मंत्रिमंडल का विस्तार बाद में किया जाएगा। बता दें कि बुधवार को शपथ लेने से पहले बोम्मई ने अपने दिन की शुरुआत अंजनेय मंदिर में  भगवान का आशीर्वाद लेकर की। शपथ लेने से पहले उन्होंने कहा कि आज हम एक कैबिनेट बैठक करेंगे, इसके बाद एक वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की जाएगी जिसमें राज्य में कोविड और बाढ़ की स्थिति की समीक्षा होगी।

बता दें कि कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का जन्म 28 जनवरी 1960 को हुआ था। जल संसाधन एवं सहयोग मंत्रालय के साथ-साथ उन्होंने हवेरी और उडुपी जिलों के प्रभारी मंत्री के तौर पर भी काम किया है। बता दें कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक बासवराज बोम्मई ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत जनता दल के साथ की थी।

राज्य सरकार में दूसरे नंबर के नेता बोम्मई लिंगायत समुदाय से आते हैं। अभी तक वह राज्य के गृह मंत्री के साथ संसदीय कार्य मंत्री और कानून मंत्री का पद भी संभाल रहे थे। बोम्मई को बीएस येदियुरप्पा का करीबी माना जाता है और वह ‘जनता परिवार’ से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता एसआर बोम्मई भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

 2023 के चुनाव में लिंगायतों से ही सत्ता का गणित साधने की कोशिश
कर्नाटक की आबादी में लिंगायत समुदाय की भागीदारी करीब 17 फीसदी है। 224 सदस्यीय विधानसभा सीटों पर 100 से ज्यादा सीटों पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव है। ऐसे में भाजपा ने येदियुरप्पा के हटने के बाद लिंगायत समुदाय के ही किसी व्यक्ति को नया सीएम बनाकर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता का गणित साधने की कोशिश की है।

12 साल पहले भाजपा में शामिल हुए, अब बने ‘नायक’
सादर लिंगायत समुदाय से आने वाले बसवराज पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं। खेती से जुडे़ होने के नाते कर्नाटक के सिंचाई मामलों का जानकार माना जाता है। राज्य में कई सिंचाई परियोजनाएं शुरू करने की वजह से उनकी सराहना की जाती है। उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में भारत की पहली 100 फीसदी पाइप सिंचाई परियोजना लागू करने का श्रेय भी दिया जाता है। उनके पिता एसआर बोम्मई भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। बसवराज 2008 में भाजपा में शामिल हुए और तभी लगातार पार्टी में ऊपर चढ़ते चले गए। वह पहले राज्य सरकार में जल संसाधन मंत्री रहे हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत जनता दल के साथ की थी।

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