पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की सीबीआई जांच का आदेश, कोलकाता हाईकोर्ट का फैसला
कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की कथित हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग वाली कई जनहित याचिकाओं पर गुरुवार को फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच केंद्री अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई से कराने को कहा है। हालांकि अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि केवल हत्या और बलात्कार के आरोपों की सीबीआई जांच होगी। अन्य सभी आरोपों के मामले में एसआईटी जांच करेगी। कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी। कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल, जज जस्टिस आई पी मुखर्जी, जज जस्टिस हरीश टंडन, जज जस्टिस सौमेन सेन और जज जस्टिस सुब्रत तालुकदार की पीठ ने मामले में फैसला सुनाया।
इससे पहले पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) अध्यक्ष को चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का आदेश दिया था। पैनल ने अपनी रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार को दोषी ठहराया था और उसने बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की थी। उसने कहा था कि मामलों की सुनवाई राज्य के बाहर की जानी चाहिए।
3 अगस्त को पूरी हुई थी सुनवाई
इसी महीने 3 अगस्त को उच्च न्यायालय ने मामले से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ के निर्देश पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) अध्यक्ष द्वारा गठित सात सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो ( सीबीआई) को सौंपने की सिफारिश की थी। सिफारिश में यह भी कहा गया था कि इन मामलों की सुनवाई राज्य के बाहर होनी चाहिए।
इस साल 2 मई को संपन्न हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में सीएम बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी ने बड़ी जीत दर्ज की थी. 293 सीटों पर हुए चुनाव में पार्टी के खाते में 213 सीटें आई थीं। वहीं, राज्य में सत्तारूढ़ दल को कड़ी टक्कर दे रही भारतीय जनता पार्टी ने 77 सीटों पर जीत दर्ज की थी। राज्य में हिंसा की खबरें आने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा समेत पार्टी के कई बड़े नेताओं ने इलाकों का दौरा किया था।