दूसरी स्वदेशी वैक्सीन: जायडस कैडिला की ‘जायकोव-डी’ को मंजूरी, 12 साल से ज्यादा के लोगों को लगेगी
नई दिल्ली। देश को दूसरी स्वदेशी कोरोना रोधी वैक्सीन मिल गई है। सरकारी विशेषज्ञ समिति की ओर से सिफारिश के बाद डीसीजीआई ने जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D के इस्तेमाल की आपात मंजूरी दे दी है। कोवाक्सिन के बाद यह दूसरी स्वदेशी वैक्सीन है। इसे 12 साल से ऊपर के लोगों को दिया जा सकेगा। इस वैक्सीन को तीन डोजों में दिया जाएगा।
खास बात यह है कि इस वक्त जहां दुनियाभर में आरएनए वैक्सीन की मौजूदगी सबसे ज्यादा है, वहीं जायडस कैडिला की ये वैक्सीन विश्व की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन है। कोविड-19 संबंधी सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन (CDSCO) की एक विशेषज्ञ समिति ने जायकोव-डी ,को मंजूरी देने के जॉयडस कैडिला के आवेदन पर गुरुवार को विचार किया था। इसके बाद इसने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) को इसे आपात इस्तेमाल की इजाजत देने की सिफारिश की।
डीसीजीआई ने शुक्रवार को मंजूरी दे दी। अहमदाबाद स्थित फार्मास्युटिकल प्रमुख कंपनी जायडस कैंडिला ने एक जुलाई को अपनी वैक्सीन जॉयकोव-डी के आपातकालीन उपयोग के लिए डीसीजीआई से मंजूरी की मांग की थी।
ताकत बड़ी कामयाबी : पीएम मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘भारत पूरी ताकत से कोविड-19 का मुकाबला कर रहा है। विश्व की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन जायकोव-डी को मंजूरी भारतीय वैज्ञानिकों के नवोन्मेष के प्रति उत्साह का उदाहरण है। यह निश्चित रूप से बड़ी कामयाबी है।
India is fighting COVID-19 with full vigour. The approval for world’s first DNA based ‘ZyCov-D’ vaccine of @ZydusUniverse is a testimony to the innovative zeal of India’s scientists. A momentous feat indeed. https://t.co/kD3t7c3Waz
— Narendra Modi (@narendramodi) August 20, 2021
यह आत्मनिर्भर भारत के विजन को पूरा करेगी : मंडाविया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस मौके ट्वीट कर कहा, ‘जायकोव-डी देश में स्वीकृति छठी वैक्सीन है और दूसरी स्वदेशी वैक्सीन है। यह आत्मनिर्भर भारत व मैक इन इंडिया के विजन को पूरा करेगी।’
50 केंद्रों पर ट्रायल का दावा
जायडस कैडिला ने दावा किया है कि उसने भारत में वैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल किया है। 50 से ज्यादा केंद्रों पर इस वैक्सीन का परीक्षण किया गया। अब तक सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड, भारत बॉयोटेक की कोवाक्सिन, रूस की स्पूतनिक-वी, अमेरिका की मॉडर्ना व जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवाक्सिन देश की पहली स्वदेशी वैक्सीन है।
कई खासियत है इस वैक्सीन की
कई मामलों में इसे सबसे खास माना जा रहा है। जायकोव-डी वैक्सीन की सबसे खास बात यह है कि यह दुनिया की पहली डीएनए प्लाजमिड वैक्सीन होगी। देश में लग रही कोरोना की बाकी वैक्सीनों से अलग जायकोव-डी के तीन डोज देने की जरूरत होगी।
बगैर सुई के लगने से बच्चों को राहत मिलेगी
जायकोव-डी बगैर सुई के दी जाएगी। इससे 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को यह आसानी से लगाई जा सकेगी। यह इंजेक्टर के जरिये दी जाएगी। दर्द न के बराबर होगा। यह 12-18 साल के वायु वर्ग वालों के साथ बड़ों को भी लग सकेगी। देश में अभी सिर्फ 18 साल से अधिक उम्र के लोगों का ही टीकाकरण हो रहा था। जायकोव-डी से अब 12 से 18 साल तक के किशोरों को भी टीके लग सकेंगे। जायडस कैडिला की एक साल में 10 करोड़ से 12 करोड़ खुराक बनाने की तैयारी है। यह वैक्सीन देश में कब से उपलब्ध होगी, यह अभी नहीं बताया गया है। कीमत को लेकर भी कोई जानकारी नहीं दी गई है।