देश के पांच राज्यों में 690 सीटों पर चुनाव

नई दिल्ली देश के पांच राज्यों में 10 फरवरी से चुनाव शुरू होने जा रहे हैं। इनमें उत्तर प्रदेश की 403, उत्तराखंड की 70, पंजाब की 117, मणिपुर की 60 और गोवा की 40 सीटें हैं, जिन पर वोटिंग होनी है। पार्टियों ने जीत-हार के लिए पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं, जिनके नतीजों की गूंज देशभर में सुनाई देगी, क्योंकि इनमें कहीं मौजूदा मुख्‍यमंत्री, कहीं पूर्व मुख्‍यमंत्री, कहीं बेटा-शिष्य तो कहीं सुपर कॉप रहे अधिकारी मैदान में है। 5 राज्यों की 13 सीटें चर्चा में क्यों हैं, जानिए..

 

1. कहल, उत्तर प्रदेश
यहां से मुलायम सिंह के बेटे और पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के सामने मुलायम सिंह के शिष्य रहे एसपी सिंह बघेल हैं, जो भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी हैं। ऐसे में मुलायम के लिए यह मुकाबला बेटे और शिष्य के बीच हो गया है। यादव बहुल होने के चलते यह सीट सपा का गढ़ है, जबकि भारतीय जनता पार्टी ध्रुवीकरण करके यहां भगवा पताका फहराना चाहती है।

2. गोरखपुर सदर, उत्तर प्रदेश
इस सीट के बारे में कहा जाता है कि, यहां कोई जातीय समीकरण नहीं चलते। जिसके साथ गोरखनाथ मंदिर हो, वही प्रत्याशी जीतता है। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार इस सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। यहां एक लाइन और फेमस है कि, ‘गोरखपुर में रहना है तो योगी-योगी कहना है।’ इस सीट पर योगी के खिलाफ भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण भी मैदान में हैं। ऐसे में यह चर्चा में है।

3. सिराथू, उत्तर प्रदेश
कौशांबी जिले में आने वाली इस सीट से डिप्टी मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, इन्हें टक्कर दे रही हैं, केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन पल्लवी पटेल। मतलब मौर्य को अपनी ही पार्टी की नेता की बहन से चुनौती मिल रही है। पल्लवी को सपा का भी समर्थन है।

4. सरोजनीगर, उत्तर प्रदेश
यहां से सुपर कॉप कहे जाने वाले ED के पूर्व अधिकारी राजेश्वर सिंह भारतीय जनता पार्टी कैंडीडेट हैं। सपा ने भी सिंह को घेरने के लिए पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर प्रोफेसर अभिषेक मिश्रा को मैदान में उतारा है। राजेश्वर सिंह ने ED में रहते हुए 2-जी स्कैम से लेकर तमाम मामलों को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई, इसलिए ये भारतीय जनता पार्टी की आंखों के तारे बन गए, लेकिन विपक्ष को उतना ही खटक रहे हैं।

5. कन्नौज, उत्तर प्रदेश
सपा का गढ़ माने जाने वाले कन्नौज में इस बार भारतीय जनता पार्टी ने असीम अरुण को प्रत्याशी बनाया है। असीम STF के चीफ रहे हैं। कानपुर के पुलिस कमिश्नर भी रहे। इनके पिता उत्तर प्रदेश में DG रहे। ऐसे में इस सीट पर भी चुनाव रोचक हो गया है।

6. लालकुआं, उत्तराखंड
कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री हरीश रावत यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। रावत के यहां से चुनाव लड़ने से भारतीय जनता पार्टी ने भी अपने संगठन की पूरी मशीनरी को यहां लगा दिया है, क्योंकि रावत कांग्रेस की तरफ से मुख्‍यमंत्री पद के दावेदार भी हैं। भारतीय जनता पार्टी की स्ट्रैटजी पर रावत ने कहा था कि, वह भारतीय जनता पार्टी के चक्रव्यूह में अभिमन्यु नहीं अर्जुन हैं।

7.  खटीमा, उत्तराखंड
इस सीट से मुख्‍यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दो बार के विधायक हैं। धामी के मुख्‍यमंत्री बनने के बाद से ही ये सीट सियासी गलियारों में चर्चा में है। उत्तराखंड में भुवन चंद्र खंडूरी और हरीश रावत मुख्‍यमंत्री रहते हार चुके हैं और इस बार धामी की राह भी बहुत आसान नजर नहीं आ रही, क्योंकि साल 2012 की तुलना में 2017 में धामी को मिले वोटों का अंतर कम हुआ है।

8. पटियाला, पंजाब
इस सीट को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है। पिछले एक दशक से यहां कांग्रेस का राज है, लेकिन इस बार गणित बदल गया है क्योंकि पटियाला सीट के सिटिंग MLA अमरिंदर सिंह इस बार कांग्रेस से उम्मीदवार नहीं है, बल्कि वे खुद की पार्टी बनाकर भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। सिंह को पटियाला में घेरने के लिए कांग्रेस ने पूर्व मेयर विष्णु शर्मा को मैदान में उतारा है, जिससे हिंदू वोट पार्टी की तरफ आ सकें।

9. भदौर और चमकौर साहिब, पंजाब
इन दोनों सीटों से पंजाब के मुख्‍यमंत्री और कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी चुनाव लड़ रहे हैं। चन्नी के दो सीटों से चुनाव लड़ने पर आप के अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया था कि, हमारे सर्वे के मुताबिक चमकौन साहिब से चन्नी हार रहे हैं। पहले इस सीट पर अकाली दल और कांग्रेस के बीच जंग होती रही है, लेकिन इस बार आप भी मजबूत है। ऐसे में चुनाव रोमांचक हो गए हैं।

10. अमृतसर ईस्ट, पंजाब
इसी सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी नवजोत सिंह सिद्धू हैं, तो शिरोमणी अकाली दल ने विक्रम सिंह मजीठिया को मैदान में उतारा है। भारतीय जनता पार्टी ने भी पूर्व IAS अधिकारी जगमोहन सिंह राजू को कैंडीडेट बनाया है। सिद्धू यदि हारते हैं तो उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को झटका लग सकता है। सिद्धू को घेरने के लिए भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के साथ आप भी पूरा जोर लगा रही हे।

11. पणजी, गोवा
गोवा में भारतीय जनता पार्टी को स्थापित करने वाले दिवंगत नेता मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर इस बार भारतीय जनता पार्टी के ही खिलाफ हैं, वो भी पणजी सीट से। वे निर्दलीय लड़ रहे हैं। यह सीट सालों से मनोहर पर्रिकर के पास रही है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को उत्पल की जीत पर संदेह था, इसलिए उन्हें यहां से उम्मीदवार नहीं बनाया गया, लेकिन उत्पल ने निर्दलीय मैदान में उतरकर भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी परेशानी पैदा कर दी है।

12. मंडेरम, गोवा
इस सीट से पूर्व मुख्‍यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दमदार नेता रहे लक्ष्मीकांत पारसेकर मैदान में हैं। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें यहां से टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय कैंडीडेट के तौर पर मैदान में हैं और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को चैलेंज देते हुए कहा है कि, यदि वे मंडेरम से हार गए तो राजनीति छोड़ देंगे। मनोहर पर्रिकर के साथ पारसेकर ही थे, जिन्होंने गोवा में भारतीय जनता पार्टी को आगे बढ़ाने में बड़ा रोल निभाया था।

13. कीसमथोंग, मणिपुर
इंफाल वेस्ट में आने वाली इस सीट में साल 2017 में नेशनल पीपुल्स पार्टी जीती थी, लेकिन इस बार भारतीय रिपब्लिक पार्टी (आठवले) ने भारतीय जनता पार्टी से गठजोड़ न होने के चलते यहां से मणिपुरी फिल्म अभिनेता महेश्वर थोनोजम को मैदान में उतार दिया है। वहीं, मणिपुर के एक लोकल मीडिया समूह के मालिक भी मैदान में हैं। ऐसे में पूरे मणिपुर की निगाहें इस सीट पर हैं।

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