यूक्रेन में फंसे भारतीयों को बचाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट: पुतिन को नहीं दे सकते युद्ध रोकने का निर्देश

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन की लड़ाई का आज आठवां दिन है। युद्धग्रस्त इलाकों से भारतीय छात्रों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा चलाया जा रहा है। यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए भारत सरकार को निर्देश देने के लिए एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी याचिका पर आज सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि भारत सरकार भारतीयों को निकालने के लिए अपना काम कर रही है।

ऑपरेशन गंगा के तहत आज 3726 भारतीयों को  यूक्रेन से वापस लाया जाएगा है। यह जानकारी  केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने दी है। उन्होंने कहा कि बुखारेस्ट से 8 फ्लाइट, सुसेवा से 2 फ्लाइट, कोसिसे से 1 फ्लाइट, बुडापेस्ट से 5 फ्लाइट और रेज़ज़ो से 3 फ्लाइट से भारतीय छात्रों और अन्य लोगों को वापस लाया जाएगा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा, “हमें छात्रों के साथ सहानुभूति है, हमें बहुत बुरा लग रहा है। लेकिन क्या हम रूस के राष्ट्रपति पुतिन को युद्ध रोकने का निर्देश दे सकते हैं?”

पूर्वी यूक्रेन में फंसे भारतीयों को मदद की आवश्यकता है: छात्र
यूक्रेन से बृहस्पतिवार को मुंबई पहुंचे एक छात्र ने कहा है कि युद्धग्रस्त देश में अब भी कई भारतीय छात्र फंसे हुए हैं और उन्हें मदद की आवश्यकता है। अधिकारियों ने बताया कि युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे 183 यात्रियों को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट से लेकर एक विशेष विमान बृहस्पतिवार सुबह मुंबई पहुंचा। इन यात्रियों में एक नवजात भी शामिल है। केन्द्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने मुंबई पहुंची तीसरी निकासी उड़ान में सवार लोगों का हवाई अड्डे पर स्वागत किया। ‘एअर इंडिया एक्सप्रेस’ का विमान सुबह करीब साढ़े पांच बजे बुडापेस्ट से यहां पहुंचा।

यूक्रेन से विमान के जरिए बृहस्पतिवार को यहां पहुंचे एक छात्र ने कहा, ”समस्या (यूक्रेन के) पूर्वी हिस्से में है और लोगों (छात्रों) को वहां मदद की आवश्यकता है।” एक अन्य छात्रा ने कहा कि वह यूक्रेन की सीमा पार करने में सफल रही, लेकिन कई छात्र अब भी फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा, ”इसलिए मैं प्रार्थना कर रही हूं कि वे भी वहां से बाहर निकल जाएं।” छात्रा ने कहा, ”विमान में सीट आरक्षित कराना मुश्किल था। छात्रों को उड़ान में सीट नहीं मिल पा रही थी, लेकिन फिर भारतीय दूतावास ने इसमें हमारी मदद की।”

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