देश का इकलौता मंदिर जहां होती है महात्मा गांधी और भारत माता की पूजा…
धमतरी। हमारे देश में बहुत सुंदर और अनोखी जगह हैं, जिसके बारे में जानकर हम काफी हैरान हो जाते हैं। भारत में एक जगह ऐसी है जहां पर लोग देवी-देवताओं के साथ स्वतंत्रता संग्राम के नायक महात्मा गांधी की भी पूजा करते हैं। यहां आज भी लोग महात्मा गांधी के विचारों का पालन करते हैं। हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के जिले धमतरी के सटियारा गांव के गांधी मंदिर की। ये मंदिर शायद हमारे देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां पर महात्मा गांधी की पूजा की जाती है। इस मंदिर में भारत माता की भी पूजा की जाती है। इतना ही नहीं यहां सभी पर्वों को धूमधाम से मनाया जाता है और नवरात्रों में यहां मनोकामना ज्योति भी जलाई जाती है। इसके अलावा राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर यहां ध्वजारोहण कर आजादी की खुशियां मनाई जाती हैं।
बताया जाता है कि भारत माता समिति से जुड़े लोगों के गुरुदेव दुखू ठाकुर महात्मा गांधी के परम भक्त थे। उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए गंगरेल के डूबान में गांधी मंदिर की स्थापना की थी। इस दौरान उन्होंने अलग-अलग स्थानों से कई परिवारों को भी जोड़ा और गांधी के विचारों को अपनाकर काम करने समेत उन्हें आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
बता दें कि ये मंदिर गंगरेल बांध के रास्ते से 40 किलोमीटर और सड़क मार्ग से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर में जाने के लिए गंगरेल से नाव का सहारा लेना पड़ता है और सड़क मार्ग से जाने के लिए कांकेर जिले के चारामा से होकर जाना पड़ता है। इस मंदिर का संचालन भारत माता सेवा समिति द्वारा किया जाता है। बता दें कि गांधी मंदिर के नाम से जाने वाली इस जगह में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। यहां नाव या पंगडंडी रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। यहां इतने पहाड़ियां और घने जंगल है कि लोगों को यहां जंगली जानवरों का भी खतरा रहता है।
जानकारी के अनुसार, गंगरेल बांध बनने से मंदिर डूब गया। उसके बाद नदी किनारे मंदिर दोबारा बनाया गया। वहीं, तब से लेकर आज तक इस मंदिर में गुरुदेव और महात्मा गांधी की पूजा की जाती है। इस मंदिर में लोगों के पूजा करने का तरीका बाकी जगहों से अलग है। मंदिर समिति के लोग यहां चावल के आटे का इस्तेमाल करते हैं। लोगों का मानना है कि इस मंदिर में पूजा करने से दुख संताप दूर होते हैं। यहां के लोग महात्मा गांधी की तरह सादे कपड़ों में रहते हैं और सादे कपड़े पहनकर ही पूजा करते हैं। इतना ही नहीं मंदिर में बुनकर भी खादी के कपड़े चढ़ाते हैं। इस गांव के लोग आज भी महात्मा गांधी के विचारों को आत्मसात कर रहे हैं। ये लोग सभी को गांधीवादी विचारों पर चलने का संदेश दे रहे हैं।