शिवलिंग को हटाने का आदेश लिखते समय सहायक रजिस्ट्रार हुए बेहोश, न्यायाधीश ने आदेश में किया परिवर्तन
कलकत्ता| कलकत्ता, पश्चिम बंगाल की राजधानी, में हाईकोर्ट में एक अजीबो-गरीब घटना घटी। कुछ समय पहले, कलकत्ता हाईकोर्ट में एक भूमि विवाद के मामले में न्यायाधीश द्वारा शिवलिंग को हटाने का फैसला सुनाया गया था। इसके दौरान, एक असामान्य घटना आई सामने, जिसने सभी को चौंका दिया। वहीं इस फैसले को रिकॉर्ड करते वक्त सहायक रजिस्ट्रार अचानक बेहोश हो गए। तब उन्हें अदालत के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करने का निर्णय लिया गया, और इसके बाद जज ने अपना फैसला तबदला कर दिया। अबतक, सहायक रजिस्ट्रार के बेहोश होने के पीछे की वजह का पता नहीं चल पाई है।
सूचना के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के बेलडांगा के खिदिरपुर गाँव के निवासी सुदीप पाल और गोविंद मंडल के बीच एक जमीन के विवाद की चर्चा चल रही है। इस विवाद के कारण, मई महीने में इन दोनों के बीच मारपीट हुई थी, जिसके बाद वे इस मामले को लेकर बेलडांगा थाने में एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी। जिसके बाद निचली अदालत से दोनों को जमानत मिल गई। जिसके बाद पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया।
इस मामले में एक नया मोड़ आया जब सुदीप पाल ने गोविंद मंडल के खिलाफ आरोप लगाया कि मारपीट के बाद उसने चुपके से रातोंरात वह जमीन पर एक शिवलिंग रख दिया। इसके बाद सुदीप ने इस मामले की पुलिस में शिकायत की और शिवलिंग को हटाने की मांग की। लेकिन दिवानी मामले के कारण, पुलिस ने इस पर कोई विशेष कार्रवाई नहीं की और सुदीप पाल ने इस मुद्दे पर कलकत्ता हाईकोर्ट में पुलिस की निष्क्रियता का मामला दायर किया।
इस भूमि विवाद से जुड़े मामले में, न्यायाधीश जय सेनगुप्ता की कोर्ट में, दोनों पक्षों के वकील अपने मुवक्किलों की प्रतिपक्ष में तर्क दे रहे थे। तब गोविंद मंडल के वकील से पूछा गया कि आपके मुवक्किलों ने विवादित जमीन पर शिवलिंग क्यों स्थापित किया? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए, गोविंद के वकील मृत्युंजय चटर्जी ने कहा कि मुवक्किलों ने शिवलिंग स्थापित नहीं किया, बल्कि यह स्वयं जमीन से उभरा है। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद, न्यायाधीश जय सेनगुप्ता ने इसे हटाने के निर्देश दिए। इसके बाद, जो हुआ वो वाकई हैरान कर देने वाला था, क्योंकि न्यायाधीश जब फैसला रिकॉर्ड कर रहे थे, तो अचानक सहायक रजिस्ट्रार बिश्वनाथ राय बेहोश हो गए। उन्हें इसके बाद हाईकोर्ट के स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया। इसके बाद, न्यायाधीश अदालत कक्ष से बाहर चले गए।
घटना के कुछ समय बाद, जस्टिस जय सेनगुप्ता अदालत में वापस लौटे और अपने फैसले में परिवर्तन करते हुए बताया कि हाईकोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी। इस घटना को अब निचली अदालत के माध्यम से सिविल केस के रूप में आगे बढ़ाना चाहिए। हालांकि, सहायक रजिस्ट्रार के बेहोश होने का कारण अब तक पता नहीं चला है।