अनोखा वृक्ष!! जिसकी सलामती के लिए, खर्च किए जाते हैं लाखों रुपए
गया| हमने आदमी, पशु, और पक्षियों का उपचार देखा और सुना है। बिहार में एक ऐसा पीपल का वृक्ष है, जिसका उपचार प्रति वर्ष तीन से चार बार किया जाता है। इसकी देखभाल के लिए प्रत्येक वर्ष लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। प्रत्येक साल, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून से वैज्ञानिक इस पेड़ की स्वास्थ्य की जांच करने आते हैं|
यह पेड़ गया के बोध गया स्थित महाबोधि मंदिर में है। कहा जाता है कि इसी पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह स्थान बौद्ध धर्म के लिए सबसे पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है। इसी स्थान पर भगवान बुद्ध ने पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान लगाया था। गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति होने के बाद इस पेड़ को बोधि वृक्ष कहा जाने लगा। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस पेड़ से गिरे पत्ते को अपने साथ ले जाते हैं और इसकी पूजा करते हैं| मंदिर समिति इस पेड़ से गिरी हुई पत्तियों की सुरक्षा करती है।
वैज्ञानिक साल में 3 से 4 बार यहां आते हैं और वृक्ष के स्वास्थ्य के अनुसार दवा का छिड़काव, सुखी टहनियों की कटाई और केमिकल लेप लगाते हैं| इसके साथ ही पत्तों पर दवा का छिड़काव किया जाता है| देखा जाता है कि पेड़ को कोई बीमारी तो नहीं लगी है| इसकी टहनियां इतनी विशाल हैं कि लोहे के 12 पिलरों से उन्हें सहारा दिया गया है| पेड के देखभाल में हर साल लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं|