चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ का बड़ा बयान, सुप्रीम कोर्ट ‘तारीख-पे-तारीख’ अदालत न बन जाए!!

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कोर्ट में चल रहे मामलों की तारीखों को बार-बार बढ़ाने के प्रयासों पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने शुक्रवार को वकीलों से कहा कि जब तक जरूरी न हो वे मामलों के स्थगन की मांग न करें|

वे नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट ‘तारीख-पे-तारीख’ अदालत बनने से बचा जाए। चीफ जस्टिस ने इसके साथ ही बताया कि पिछले दो महीने में वकीलों ने 3,688 मामलों में स्थगन की मांग की है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामलों के टलने पर नाराजगी और निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट में मामले दाखिल होने और पहली बार सुनवाई के लिए आने की प्रक्रिया तक पूरी निगरानी कर रहा हूं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसमें कम से कम समय लगे। सीजेआई की इस टिप्पणी ने स्थगन से संबंधित आंकड़ों पर प्रकाश डाला। सीजआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के लिए जमा होने वाली स्थगन पर्चियों पर विशेष ध्यान दिया, और अदालत ने सितंबर और अक्टूबर के महीनों में प्रसारित स्थगन पर्चियों पर ध्यान दिया। इस पर ध्यान देने के बाद, सीजआई ने इस मामले को सामने रखा।

सीजआई ने बताया कि 3 नवंबर के लिए मेरे पास 178 स्थगन पर्चियां आई हैं। डेटा के अनुसार, हर रोज़ वकीलों ने 154 स्थगनों के लिए पर्चियाँ दी हैं। सितंबर से अक्टूबर तक, 3,688 पेंडिंग मामलों की सुनवाई को तेजी देने के लिए स्थगन को रोकना आवश्यक है।

 

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