सिम्स को लेकर ओएसडी ने कहीं बड़ी बात, हाईकोर्ट को रिपोर्ट प्रस्तुत कर दिया जवाब

बिलासपुर। सिम्स की बदहाली पर स्वतः संज्ञान याचिका पर हाईकोर्ट की बेंच ने सुनवाई की| सुनवाई के दौरान सिम्स के ओएसडी ने माना कि सिम्स के डॉक्टरों में वर्क कल्चर नहीं है| डॉक्टरों का ज्यादा ध्यान प्राइवेट प्रैक्टिस पर रहता है| हाई कोर्ट ने डीन और एमएस को व्यवस्था बनाने में असफल बताते हुए 6 दिसंबर को अगली सुनवाई निर्धारित की है|

सिम्स की व्यवस्था को सुधारने के लिए हाईकोर्ट के निर्देश पर ओएसडी नियुक्त किया गया। जिसके बाद लगातार कार्य करने के बाद भी सिम्स के हालात में बदलाव नहीं हो पा रहा है। जिसके बाद पीएलआई के जवाब में ओएसडी ने कहा कि सिम्स के अधिकतर डॉक्टर करते है निजी प्रैक्टिस, वर्क कल्चर ही नहीं है। डॉक्टरों का ज्यादातर ध्यान प्राइवेट प्रैक्टिस पर रहता है।

बता दें, सिम्स की अव्यवस्था की खबरों पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर व्यवस्था सुधारने ओएसडी भी नियुक्त करने का आदेश दिया था। लेकिन अब लगता है ओएसडी भी हालात सुधारने में नाकामयाब हो रहे है। गुरूवार को जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान ओएसडी प्रसन्ना ने अपनी रिपोर्ट पेश की। उन्होंने बताया कि सिम्स के डॉक्टरों में वर्क कल्चर ही नहीं है। इस दौरान हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की सेवा पर कई सवाल उठाए। साथ ही कहा कि सिम्स की व्यवस्था कैसे दुरूस्त हो सकती है। अब अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी।

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने सिम्स की अव्यवस्था पर सख्ती दिखाई है। उन्होंने अव्यवस्था व खामियों को दूर करने के लिए राज्य शासन को ओएसडी नियुक्त करने कहा था। ओएसडी के तौर पर आर प्रसन्ना को प्रभार सौंपा गया, लेकिन इसके बाद भी यहां के हालात सुधर नहीं रहे है।

इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि इन्हें नॉन प्रैक्टिस अलाउंस तो मिलता होगा| इस पर बताया गया कि शासन जिला अस्पताल में तो यह देता है, लेकिन सिम्स के एक मेडिकल कालेज होने के कारण यहां का प्रावधान स्पष्ट नहीं है| सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर अपूर्व त्रिपाठी ने बताया कि सिम्स के ठीक सामने ही कई निजी डायग्नोस्टिक सेंटर भी चल रहे हैं| कई जांच सिम्स न होने पर मरीजों को यहां आना पड़ता है|

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