वी.आई.पी. जिले में कांग्रेस की पराजय निराशाजनक, अति आत्मविश्वास के नशे में चूर थे जिले के कांग्रेस प्रत्याशी

दुर्ग (चिन्तक)। प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के वी.आई.पी जिले में कांग्रेस की शर्मनाक पराजय बेहद निराशा जनक है। जिले की छह विधान सभा की सीटों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनाव जीत कर कांग्रेस की लाज बचाने में सफल हुए है। भिलाई में देवेन्द्र यादव को महज कुछ मतों से जीत मिली है। शेष अन्य दुर्ग ग्रामीण दुर्ग शहर वैशाली नगर व अहिवारा में कांग्रेस को अप्रत्याशित रुप से पराजय मिली है।

दुर्ग ग्रामीण विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू गृहमंत्री रहे है लेकिन उनकी हार चौका देने वाली है। नरवा गरवा घुरवा बाड़ी व कर्ज माफी का दावा यहां फेल साबित हुआ है। मंत्री ताम्रध्वज साहू की पराजय का सबसे बड़ा कारण उनके पुत्र जितेन्द्र साहू रहे है। रिसाली क्षेत्र को बिगाडऩे में जीतेन्द्र साहू का सबसे बड़ा हाथ रहा है।
इसके अतिरिक्त भ्रष्टाचार कमीशन खोरी और वसूली की शिकायत भी उनके खिलाफ आम रही है। जीतेन्द्र के व्यवहार से कार्यकर्ता भी दुखी रहे है। वही भाजपा प्रत्याशी ललित चंद्राकर ने सादगी से क्षेत्र की जनता का दिल जीता है। मंत्री ताम्रध्वज साहू के साथ यह बात भी जुड़ी है कि लगातार दो चुनाव में जीत उनके भाग्य में नही है। पहली बार बेमेतरा में जीत हासिल करने के बाद जब दूसरी बार लड़े थे तब उन्हें पराजय मिली थी इस बार भी उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा है। इसके अतिरिक्त दुर्ग ग्रामीण में एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा को मौका देने का मिथक भी उन पर भारी पड़ गया है।

इसके साथ साथ दुर्ग शहर विधान सभा क्षेत्र में लगातार दो बार विधायक रहे छत्तीसगढ़ वेयर हाउस कार्पोरेशन के चेयरमेन अरुण वोरा की शर्मनाक पराजय कांग्रेस के लिए चिंताजनक है। श्री वोरा को इस चुनाव में सबसे बड़ी पराजय का सामना करना है। श्री वोरा इस चुनाव में अपनी विरासत को संभाल पाने में नाकाम साबित हुए है। श्री वोरा की हार का सबसे बड़ा कारण उनका ओवर कान्फिडेन्स में रहना रहा है। उन्होने भाजपा प्रत्याशी गजेन्द्र यादव को नया समझकर हल्के में ले लिया था और आखरी समय तक मुझे जनता जिताएगी इस मुगालते में रहे । इसके अतिरिक्त कार्यकर्ताओ का अपमान भी उनकी पराजय का बड़ा कारण रहा है।

श्री वोरा के भाई शानू वोरा के चुनाव संचालन से कार्यकर्ता भारी नाराज थे।कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उन्हे हराकर अपनी नाराजगी का अहसास करा दिया है। वही नये चेहरे के रुप में मैदान में उतरे भाजपा प्रत्याशी गजेन्द्र यादव को एतिहासिक जीत हासिल हुई है।

वैशाली नगर विधानसभा में कांग्रेस ने मुकेश चंद्राकर को प्रत्याशी बनाकर सबसे बड़ी भूल की है। मुकेश चंद्राकर मूलत: दुर्ग के निवासी है। वैशाली नगर में उनके बाहरी होने का मुद्दा हावी रहा है। जबकि रिकेश सेन भाजपा के स्थानीय प्रत्याशी थे। मुकेश चंद्राकर को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से ही कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष था। कार्यकर्ताओं ने अपनी नाराजगी जाहिर कर परिणाम का अहसास करा दिया है।
वही भाजपा अपनी परंपरागत कब्जे वाली सीट को काबिज करने में सफल हो गई है। अहिवारा विधानसभा में मौजूदा विधायक रुद्रगुरु ने कांग्रेस की प्रतिष्ठा को तहस नहस करके रख दिया था। रुद्र कुमार के व्यवहार से कार्यकर्ता भारी नाराज थे। निर्मल कोसरे कांग्रेस का नया चेहरा जरुर थे लेकिन उनके पास अनुभव नही था भाजपा प्रत्याशी डोमनलाल कोर्सेवाड़ा इससे पहले विधायक रह चुके है और उनकी साफ सुथरी छवि बनी रही है। इसका उन्हें इस चुनाव में पूरा लाभ मिला है।

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