कांग्रेस भवन मेंं हार को लेकर हुई तकरार, वोरा व शंकर आपस मेें भिड़े, भीतरघातियों पर कार्यवाही करने उठी मांग

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दुर्ग(चिन्तक)। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की स्थापना के 138 वर्ष पूर्ण होने पर नागपुर में आयोजित रैली को लेकर कांग्रेस भवन में बुलाई गई बैठक में विधानसभा के चुनाव में हुई करारी हार का भी मामला उठा और आरोप प्रत्यारोप के साथ तकरार भी हुई लेकिन इसके बाद मामला शांत हो गया।

उल्लेखनीय है कि विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अरूण वोरा को 48 हजार से अधिक मतों से पराजय का सामना करना पड़ा है। दुर्ग विधानसभा के इतिहास में किसी प्रत्याशी की यह सबसे बड़ी हार है। इससे पहले सात बार चुनाव लडऩे के बाद श्री वोरा तीन बार विधायक रह चुके है। हार के इतने बड़े अंतर से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल बुरी तरह टूट गया है और वे हताश व निराश होने के साथ सदमें में है।
विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि हार की समीक्षा को लेकर बैठक बुलाई जाएगी लेकिन ऐसा नही हुआ।

28 दिसंबर को कांग्रेस के स्थापना दिवस पर नागपुर में रैली के लिए एक दिन पूर्व कांग्रेस भवन में बैठक बुलाई गई थी। बैठक मेेंं विधानसभा चुनाव मेें हुई हार का मुद्दा आखिरकार उठ गया। पूर्व महापौर शंकरलाल ताम्रकार ने कहा कि मेरे 120 दूकानों के आबंटन पर काम नही हुआ इससे व्यापारी नाराज होते गए इसी कारण हार हुई है। शंकरलाल ताम्रकार के इस कथन से पूर्व विधायक अरूण वोरा तमतमा कर खड़े हो गए औैर कहा कि इस आबंटन को महापौर सरोज पांडे ने निरस्त कर दिया था।

आपने भी तो वर्ष 1993 में मेरे पिता धृतराष्ट्र कह दिया था। इसे लेकर काफी देर तक तू-तू मै मेै होती रही। इसी बीच पूर्व विधायक अरूण वोरा के समर्थकों ने अपना नंबर बढ़ाने के लिए चुनाव में भीतरघात करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही करने की मांग की।

बैठक में मौजूद पर्यवेक्षक ने इसकी लिखित शिकायत करने के लिए कहा लेकिन लिखित शिकायत करने की हिम्मत किसी ने नही दिखाई बल्कि पर्यवेक्षक से कहा कि आप स्वयं पता करके इसे संज्ञान में ले फिर कार्यवाही करें। मामले को बढ़ता देख पूर्व विधायक अरूण वोरा स्वयं उठ खड़े हुए। उन्होने कहा कि हार मेरी हुई है हार की दर्द मैें झेल रहा हूं।

कांग्रेस के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इमानदारी से काम किया है। मुझे किसी भी नेता व कार्यकर्ता से शिकायत नही है। मैं किसी भी नेता अथवा कार्यकर्ता पर कार्यवाही नही चाहता। पूर्व विधायक के इस कथन से भीतरघातियों पर कार्यवाही की मांग करने वाले समर्थक शांत हो गए। अंत में पर्यवेक्षक को कहना पड़ा जब प्रत्याशी को ही किसी से शिकायत नही है तो इस विषय पर चर्चा नही की जा सकती। इस तरह मामला शांत हो गया।

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