विश्व रंगमंच दिवस पर मुट्ठी नाट्य संस्था व्दारा “शताब्दी का एक दिन” का मंचन किया गया

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दुर्ग(चिन्तक)। 27 मार्च  दिन बुधवार विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर अंचल की मुट्ठी नाट्य संस्था भिलाई ने कमला मोटर्स दुर्ग में नाटक ”शताब्दी का एक दिन” का मंचन किया गया, रंगमच दिवस् सिर्फ मनोरंजन का साधन मात्र नही है बल्कि लोगो तक अपनी बात पहुचाने का भी एक बेहतरीन जरिया है ।
इस आयोजन में कमला मोटर्स के संचालक कैलाश बरमेचा तथा कला-साहित्य अकादमी का भरपूर सहयोग रहा है। कार्यक्रम का संचालन कला-साहित्य अकादमी से श्री मणिमय मुखर्जी ने किया। इस अवसर पर लॉयन चेयर पर्सन मिनाक्षी अग्रवाल का सम्मान श्रीमती मंजु बरमेचा जी के द्वारा, कमला मोटर्स को आज इस सुखद मुकाम तक पहुंचाने वाले मनीष सहारन का सम्मान शेखर ठाकुर के द्वारा, कला-साहित्य अकादमी के जय प्रकाश नायर जी का सम्मान  दिलीप बरमेचा के द्वारा और बबलु विश्वास का सम्मान विवेक ठाकुर  के द्वारा किया गया।

विभाष उपाध्याय के द्वारा विश्व रंगमंच दिवस पर जनता के लिए रंगमंच के संदेश का पाठन किया। तत्पश्चात मुट्ठी नाट्य संस्था के द्वारा नाटक ”शताब्दी का एक दिन” का सफ ल मंचन किया गया। नाटक की शुरूआत से ही दर्शक नाटक से जुड़ गए। नाटक आम आदमी के पक्ष को, उसके हित को, उसके बुनियादी अधिकारों को और इंसानियत को जि़ंदा बचाए रखने की अपील करता है। नाटक ”शताब्दी का एक दिन” दर्शकों तक अपनी बात पहुंचाने में सक्षम रहा। तमाम दर्शकों ने नाटक ” शताब्दी का एक दिन” की भरपूर प्रशंसा की।

मुट्ठी के अध्यक्ष और नाटक ”शताब्दी का एक दिन” के मुख्य अभिनेता गुलाम हैदर मंसूरी ने कहा कि भिलाई का रंगकर्म नॉन-कॉर्मिशियल है पर स्वयं नाटक से कई कॉर्मिशियल पक्ष जुड़े हैं। नॉन-कॉर्मशियल होकर, किसी कॉर्मशियल पक्ष को वहन करना बहुत संघर्षों भरा होता है पर ऐसे संघर्षें को आसान किया है ।

कैलाश बरमेचा, कमला मोटर्स और कला-साहित्य अकादमी ने। गुलाम हैदर मंसूरी ने इस नाटक की क़ामयाबी का सारा श्रेय अपने तमाम दर्शकों, कैलाश बरमेचा, कमला मोटर्स को, कला-साहित्य अकादमी को और अपनी टीम को दिया है। इसके अलावा स्वेता जैन, चंद्रा बरमेचा, कमला मोटर्स से सेल्स प्रमोटर सत्या चंद्राकर, शाखा प्रबंधक खेमचंद गुप्ता, हेड मेकेनिक किशोर निषाद,सेल्समेन अजय चौधरी, बरमेचा टेक्सटाईल से प्रभारी संजय चंद्राकर, कमला फायनेंस से प्रभारी पन्ना लाल जैन, बरमेचा एलीवेटर से प्रभारी त्रिलोक चंद यादव तथा कला-साहित्य अकादमी से अध्यक्ष शक्तिपद चक्रवर्ती, जनाब मुमताज, शरद कोका, हरजिंदर सिंह मोटिया आदि उपस्थित रहे।

नाटक शताब्दी का एक दिन में शताब्दी-प्रगति तिवारी, मानस- गुलाम हैदर मंसूरी, डाक्टर्स – डॉ. रौनक़ जमाल और बहादुर अली, अनु – शहाना परवीन, कश्मीरी युवक – मनीष तिवारी, नाट्य मंचन निर्देशक – शहाना परवीन, संयोजक -मनीष तिवारी, संगीत – सिराज, मंच सज्जा – देवेंद्र मोयल, गायक – सिराज और नंदिनी भट्टाचार्य, स्ट्रुमेंट – हिमांशु तथा साउंड रौशन का रहा।

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