PM मोदी के भड़काऊ बयान पर चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस, राहुल गाँधी को भी किया शामिल, 29 अप्रैल तक मांगा जवाब

EC Notice PM Modi: चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयानों पर आपत्ति उठने के बाद कार्रवाई का मन बना लिया है। आयोग ने दोनों नेताओं की पार्टियों को नोटिस भेज 29 अप्रैल की सुबह 11 बजे तक जवाब मांगा है। ये मामला दोनों की ओर से कथित आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ा हुआ है। भाजपा और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर धर्म, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर नफरत और विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया था।

चुनाव आयोग ने कहा, “राजनीतिक पार्टियों को अपने उम्मीदवारों, विशेषकर स्टार प्रचारकों के आचरण की प्राथमिक जिम्मेदारी लेनी होगी। उच्च पदों पर बैठे लोगों के प्रचार भाषणों के अधिक गंभीर परिणाम होते हैं। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77 के तहत ‘स्टार प्रचारक’ का दर्जा देना वैधानिक रूप से पूरी तरह से राजनीतिक पार्टियों के दायरे में आता है और स्टार प्रचारकों से भाषणों की उच्च गुणवत्ता में योगदान करने की उम्मीद की जाती है।”

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर कांग्रेस की सरकार आई तो वह देश की संपत्ति को घुपैठिए और जिनके अधिक बच्चे हैं, उनके बीच बांट सकती है। प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उस टिप्पणी का भी संदर्भ से परे जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है।

प्रधानमंत्री के बयान के खिलाफ कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने चुनाव आयोग में अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई थीं। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से अपील की थी कि प्रधानमंत्री के इस बयान पर कार्रवाई की जाए। कांग्रेस ने इस बयान को विभाजनकारी, दुर्भावना से भरा और समुदाय विशेष को लक्षित करने वाला बताया था। CPI(M) ने प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई और यहां तक की FIR दर्ज कराने की मांग की थी।

भाजपा ने राहुल के खिलाफ रैलियों में भाषा और शब्दों के इस्तेमाल को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। भाजपा ने आरोप लगाया था कि राहुल ने तमिलनाडु में भाषा के आधार पर लोगों के बीच भ्रम फैलाने की कोशिश की थी। भाजपा का कहना है कि राहुल अपने भाषणों में उत्तर और दक्षिण भारत को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस संबंध में चुनाव आयोग को पत्र लिखा था।

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