दुर्ग के आरोग्यम अस्पताल में बंद हो सकता है आयुष्मान योजना से इलाज! जानिए क्या है पूरा मामला

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दुर्ग। D-Mart के पास संचालित आरोग्यम अस्पताल के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग बड़ी कार्रवाई कर सकता है। नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी डॉ अनिल शुक्ला ने कहा कि उन्होंने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई के लिए कलेक्टर को लिखा है। वहां से अनुशंसा होने के बाद यहां आयुष्मान योजना से इलाज पर रोक लग सकती है।

डॉ अनिल शुक्ला ने बताया कि उनके पास शिकायत आई थी कि राजनांदगांव जिले से एक 13 साल की नाबालिग लड़की को आरोग्यम हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। नाबालिग ने जहर खा लिया था। अस्पताल प्रबंधन ने बिना पुलिस को एमएलसी सूचना दिए उसका इलाज जारी रखा। इलाज के दौरान जब लड़की की मौत हो गई, तब अस्पताल प्रबंधन ने इसकी सूचना संबंधित मोहन नगर थाने में भेजी।

नियम के मुताबिक, जहर सेवन के केस में अस्पताल प्रबंधन को मरीज का इलाज शुरू करना था, लेकिन 24 घंटे के अंदर इसकी सूचना संबंधित थाने की पुलिस को देनी होती है। इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने स्वास्थ्य विभाग को नोटिस का जवाब दिया है कि उन्हें ये जानकारी नहीं थी कि नाबालिग ने जहर सेवन किया है। उसने अंतिम दिन मौत से कुछ घंटे पहले बताया कि उसने जहर खाया है। डॉ अनिल शुक्ला का कहना है कि अगर किसी मरीज को लगातार उल्टी की शिकायत हो रही है और उसकी उल्टियां रुक नहीं रही हैं, तो अस्पताल प्रबंधन को उसकी जांच करनी होती है कि कहीं शरीर में कोई प्वाइजन के अवशेष तो नहीं हैं। इतने बड़े मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में ऐसा क्यों नहीं किया गया। इसमें अस्पताल प्रबंधन की पूरी लापरवाही दिख रही है।

जवाब मिलने के बाद कलेक्टर को लिखा पत्र

नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी डॉ अनिल शुक्ला ने कहा कि शुक्रवार को अस्पताल प्रबंधन को नोटिस का जवाब देना था। उन्होंने एक लाइन में जवाब दिया है कि उन्हें जहर सेवन की जानकारी नहीं है। मेडिकल साइंस इतना आगे बढ़ चुका है कि 16 दिन के इलाज में वहां के डॉक्टर ये नहीं पकड़ पाए कि नाबालिग को क्या समस्या थी। उन्होंने कहा कि दुर्ग कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी को पत्र लिखकर कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है।

आयुष्मान योजना से इलाज, फिर भी ले लिए एक लाख रुपए

डॉ अनिल शुक्ला ने बताया कि जांच में ये बात भी सामने आई है कि आयुष्मान कार्ड से नाबालिग लड़की का इलाज चल रहा था। इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने नाबालिग के पिता से एक लाख 10 हजार रुपए ले लिए थे। जब जांच शुरू हुई, तो उन्होंने परिजनों पर दबाव बनाया और लिखवाकर ले लिया कि उनसे कोई रुपए नहीं लिए गए हैं। इस आरोप के चलते अस्पताल में आयुष्मान योजना से इलाज पर रोक भी लग सकती है।

रीसेंट पोस्ट्स

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