दिल्ली से हरियाणा के लिए आज से चलेंगी बसें

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी के खिलाफ दर्ज एफआईआर के मामले पर आज यानि मंगलवार को फैसला सुनाएगा। कोर्ट ने पिछले 11 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि फैसला आने तक अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर लगी रोक जारी रहेगी।

सुनवाई के दौरान अर्णब गोस्वामी की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि याचिकाकर्ता को परेशान किया जा रहा है। हमने वही खबर दिखाई जिसे जानना लोगों के लिए जरूरी है। 25 अप्रैल को नोटिस भेज कर पुलिस ने 26 अप्रैल को बुलाया। पुलिस ने 12 घंटे पूछताछ की। जो पूछा जा रहा था उसको कुछ लोग ट्वीट के जरिये सार्वजनिक कर रहे थे। उन्हें कैसे जानकारी मिल रही थी?

साल्वे ने कहा था कि जांच अधिकारी जानना चाहते हैं कि गेस्ट की लिस्ट कौन तय करता है। कंपनी की वित्तीय जानकारी मांगी जा रही है। उन्होंने मुंबई पुलिस की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जांच के तरीकों पर गौर किया जाए। जांच सही तरीके से नहीं हो रही है। उन्होंने कहा था कि धारा 19(1)(ए) और आपराधिक जांच में संतुलन होना चाहिए। या तो हमारी याचिका मेरिट पर तय की जाए या मामले को सीबीआई ट्रांसफर कर दिया जाए। प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि ये बेहद अजीब केस है। हरीश साल्वे और कपिल सिब्बल दोनों मुझ पर आरोप लगा रहे हैं। मैं किसी का पक्ष नहीं ले रहा हूं। मैं ये नहीं कह रहा हूं कि याचिका खारिज कीजिए या स्वीकार कीजिए। ये केस किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं है बल्कि समाज के खिलाफ है। अभियुक्त को पुलिस पर भरोसा नहीं है और पुलिस भी ये आरोप लगाते हुए कोर्ट पहुंची है कि उसकी जांच को बदनाम किया जा रहा है। इस तरह के केस में 12 घंटे की पूछताछ ठीक नहीं है।

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा था कि आरोपी से कौन कौन सवाल पूछे गए इसकी चर्चा की जा रही है। उनसे वही सवाल पूछे गए जो जरुरी थे। समग्र सवाल पूछे गए तो क्या यह प्रताड़ना है। उन्होंने कहा कि इस तरह की सांप्रदायिकता बंद होनी चाहिए। आरोपी को शिष्टता और नैतिकता का पालन करना चाहिए। आप सनसनी पैदा कर रहे हैं। आरोपी विशुद्ध रुप से सांप्रदायिक हिंसा में लिप्त हैं।

पिछले 24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी के खिलाफ सभी राज्यों में दर्ज एफआईआर में किसी भी तरह की कार्रवाई पर तीन हफ्ते की रोक लगा दी थी। कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को निर्देश दिया था कि वो इस दौरान ट्रायल कोर्ट या हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर करें। कोर्ट ने केंद्र सरकार , महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ औऱ राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया था।

कोर्ट ने नागपुर में दर्ज एफआईआर को मुंबई ट्रांसफर करने का आदेश दिया था । कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के दफ्तर की सुरक्षा का निर्देश दिया था । कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता अपनी याचिका में संशोधन करे। सभी एफआईआर को एक साथ जोड़े जाने की प्रार्थना करें, उसके बाद आगे की सुनवाई होगी। एक ही मामले की जांच कई जगह नहीं हो सकती है।