वित्‍त विभाग ने पुलिस को किया प्रतिबंध से मुक्‍त: कलेक्‍टरों को भी मिली राहत, जानिये… क्‍या है पूरा मामला

रायपुर। वित्‍त विभाग ने राज्‍य के सभी सरकारी विभागों, निगम-मंडल सहित प्राधिकरणों में वाहन किराया पर लेने पर रोक लगा दिया है। विभाग की तरफ से 13 मई को इस संबंध में विस्‍तृत आदेश जारी किया गया था। अब वित्‍त विभाग ने एक नया आदेश जारी करते हुए इस प्रतिबंध से राज्‍य पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और कलेक्‍टरों को मुक्‍त कर दिया है। वीआईपी सुरक्षा और नक्‍सल विरोधी अभियानों के लिए भी वाहन किराया पर लेने की छूट दे दी गई है।

ताजा आदेश में वित्‍त विभाग ने विभागों को भी एक राहत दी है। आदेश में कहा गया है कि सरकार या विभाध्‍यक्ष की तरफ से आयोजित किसी सेमीनार, वर्कशाप के आयोजन के लिए अत्‍यावश्‍यक परिस्थितियों में वाहन किराया पर लिया गया है तो यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा।

बता दें कि 13 मई को जारी आदेश में वित्‍त विभाग ने सरकारी विभागों में गाड़ी किराया पर लेने पर रोक लगा दी गई है। वित्‍त विभाग ने इस संबंध में निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि वित्तीय अधिकारों के प्रत्यायोजन की पुस्तिका में वाहन किराये पर लेने संबंधी अधिकार समाप्त कर दिए गए हैं। अपवाद स्वरूप वित्त विभाग की सहमति से ही वाहन विशेष उद्देश्य व निर्धारित अवधि के लिए किराया पर लिया जा सकता है।

वित्‍त विभाग की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि प्रायः यह देखा जा रहा है कि विभिन्न विभागों एवं उनके अधीनस्थ कार्यालयों/ निगम/मंडल/अनुदान प्राप्त संस्थाओं द्वारा किराया का वाहन उपयोग में लिया जा रहा है तथा उक्त वाहनों के किरायें की दरों में एकरूपता नहीं है। अतः एकरूपता की दृष्टि से परिशिष्ट-अ अनुसार वाहनों / समतुल्य वाहनों के किराया हेतु दर तथा परिशिष्ट-ब अनुसार किराये की शर्त निर्धारित किया जाता है। किराये के वाहन की दरें राज्य मद से किराये पर लिये जाने वाले वाहनों के साथ केन्द्र पोषित अथवा अन्य मदो से वित्त पोषित योजनाओं के तहत किराये पर भी लिये जाने वाले वाहनों पर समान रूप से लागू होगें।

1. किराये पर उपलब्ध कराये जाने वाले वाहन का मॉडल वर्ष 2020 या उसके बाद का होना चाहिए। इन वाहनों के पंजीयन संबंधी दस्तावेज की प्रतिलिपि अनिवार्यतः ली जाये।

2. वाहन के समस्त दस्तावेज जीवित बीमा (कम्प्रेहेन्सिव) तथा फिटनेस प्रमाण पत्र आदि होना अनिवार्य है। उपरोक्त सभी का भुगतान वाहन मालिक द्वारा किया जावेगा। बीमा संबंधी दस्तावेज की प्रतिलिपि जमा किया जाये।

3. वाहन मुख्यालय पर रहने एवं मुख्यालय से बाहर रहने पर कोई अतिरिक्त राशि देय नहीं होगा।

4. किराये की अवधि में वाहन आबंटित अधिकारी के आधिपत्य में रहेगा तथा फर्म के द्वारा अपने निजी प्रयोजन अथवा कार्यालय से हटकर अन्य कार्य हेतु वाहन का उपयोग किया जाता है, तो तत्काल प्रभाव से वाहन हटा दिया जावेगा।

5. वाहन की मरम्मत, रख-रखाव, दुर्घटना दावा एवं समस्त अन्य खर्चे वाहन मालिक द्वारा वहन किया जाएगा।

6. उपयोग के दौरान वाहन के खराब होने की स्थिति में समतुल्य वाहन तत्काल उपलब्ध कराना होगा। वाहन तत्काल उपलब्ध न कराये जाने पर उक्त दिवस की राशि कटौती की जाएगी। यदि कार्यालय द्वारा वाहन की व्यवस्था की जाती है, तो व्यय पूर्ति की जवाबदारी फर्म की होगी।

7. वाहन का उपयोग अवकाश दिवसों पर भी किया जावेगा। यदि उक्त दिवसों पर वाहन उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो मासिक दर के आधार पर प्रति दिवस राशि की गणना कर कटौती की जावेगी।

8. फर्म के द्वारा वाहन चालक के संबंध में जानकारी (आधारकार्ड, वैध ड्रायविंग लाइसेंस, अनुभव प्रमाण पत्र की प्रति) उपलब्ध करायी जाए। वाहन चालक यातायात नियमों का ज्ञान रखने वाला होना चाहिए। कम से कम 03 वर्ष वाहन चलाने का अनुभव हो तथा वाहन चालक के विरूद्ध किसी प्रकार का आपराधिक / दुर्घटना प्रकरण दर्ज न हो।

9. वाहन की लॉग बुक प्रतिदिन अनिवार्य रूप से वाहन चालक को संधारित करना होगा एवं उपयोग करने वाले अधिकारी / कर्मचारी से प्रतिदिन हस्ताक्षर लिया जाना होगा।

10. लॉग बुक की सत्यापित छायाप्रति के साथ देयक एक प्रति में प्रस्तुत करना होगा। फर्म द्वारा बैंक खाते का विवरण कार्यालय को उपलब्ध कराना होगा।

11. देयक के भुगतान में नियमानुसार आयकर एवं जी.एस.टी. की कटौती की जावेगी।

12. वाहन चालक का समस्त व्यय (वेतन, भत्ता आदि) फर्म द्वारा देय होगा।

13. वाहन चालक के अवकाश पर रहने या अस्वस्थ होने पर फर्म के द्वारा तत्काल दूसरे अर्हताधारी वाहन चालक की व्यवस्था की जायेगी।

14. दर निर्धारण पश्चात् नियत अवधि हेतु कार्यादेश दिया जावेगा। कार्यादेश में उल्लेखित शर्तों का एजेंसी के द्वारा उल्लंघन करने पर सेवाएं समाप्त कर दी जावेगी। किसी भी समय कार्यादेश रद्द करने का अधिकार कार्यालय प्रमुख के पास सुरक्षित होगा।

15. नियत अवधि में पेट्रोल / डीजल के दर/टैक्स/जी.एस.टी. में वृद्धि होने पर बढ़े हुए दर के भुगतान का दायित्व वाहन आपूतिकर्ता फर्म का होगा।

16. उपयोग किए जाने वाले वाहन के प्रकार का निर्धारण करने का अधिकार कार्यालय को होगा।

17. वाहनों के दरों के निर्धारण पश्चात् फर्म द्वारा राशि 1,00,000/- रू. का सावधि जमा, किराये से वाहन प्राप्त करने वाले अधिकारी के पदनाम से धरोहर / अमानत राशि के रूप में जमा करना होगा। उक्त फर्म का वाहन जब तक कार्यालय में उपयोग किया जाएगा, तब तक उक्त राशि जमा रहेगी। फर्म के द्वारा कार्यालय से वाहन हटाये जाने के पश्चात् ही अमानत राशि फर्म को वापस की जावेगी। शर्त के उल्लंघन पर अमानत राशि जब्त किया जायेगा।

18. स्वीकृत दर पर आवश्यकतानुसार वाहन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी संबंधित ट्रेवल्स एजेंसी / फर्म की होगी। अनुपलब्धता की स्थिति में उनके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी तथा अन्य एजेंसी / फर्म से वाहन प्राप्त किया जायेगा।

19. वाहन किराये पर उपलब्ध कराने के संबंध में किसी भी प्रकार के विवाद होने की स्थिति में अंतिम निर्णय कार्यालय प्रमुख द्वारा लिया जाएगा। उनका निर्णय अंतिम व उभय पक्ष को मान्य होगा।

20. मासिक किराया दर में वाहन अधिकतम 2000 कि.मी. चलित दौरा सम्मिलित है, जिसमें पेट्रोल/डीजल फर्म के द्वारा देय होगा। मासिक 2000 कि.मी. से अधिक चलने पर निर्धारित दर से अतिरिक्त किराया देय होगा।

21. वाहन में फास्टेग की सुविधा अनिवार्य होगी तथा इसका रिचार्ज अनुबंधकर्ता फर्म द्वारा किया जावेगा।

22. वाहन उपलब्ध कराने वाले फर्म को कार्यालय प्रमुख के साथ शर्तों के अनुरूप अनुबंध निष्पादित करना होगा।