हीरा ग्रुप को राहत: माइनिंग ने लीज किया था निरस्त, हाई कोर्ट ने याचिका की स्वीकार

बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट ने हीरा ग्रुप की याचिका स्वीकार कर लिया है| राज्य सरकार ने निर्धारित जगह से अधिक एरिया में माइनिंग करने की वज़ह से हीरा ग्रुप का ठेका निरस्त कर दिया था|

बता दें, बस्तर के पास पंडरीपानी में लाइम स्टोन खनन के लिए हीरा ग्रुप को दिए गए ठेके को दो साल पहले राज्य शासन ने निरस्त कर दिया था। शासन के इस आदेश के खिलाफ हीरा ग्रुप ने याचिका दायर की थी।

बस्तर के माइनिंग अफसरों ने हीरा ग्रुप पर आरोप लगाया था कि लाइम स्टोन खनन के लिए जो क्षेत्र निर्धारित किया गया है, उसका अतिक्रमण करते हुते अवैध तरीके से ज्यादा क्षेत्र में खनन किया जा रहा है। रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने ठेका निरस्त कर दिया था।

जय बजरंग सीमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने बस्तर के पास पंडरीपानी में खनन क्षेत्र के आवंटन के लिए राज्य सरकार के समक्ष आवेदन किया था। लघु इस्पात संयंत्र में कैप्टिव उपयोग के लिए चूना पत्थर निकालने फरवरी 1985, में राज्य सरकार ने 20 वर्षों की अवधि के लिए लीज दे दी थी। बाद में इसे हीरा सीमेंट फैक्ट्री के नाम से संचालित किया जाने लगा। इस खनन क्षेत्र का क्षेत्रफल 45 एकड़ था। कुछ समय बाद यह शिकायत सामने आई कि निर्धारित इलाके से अधिक में खनन किया जा रहा है।

राजस्व अधिकारियों ने जांच के बाद बिना किसी मूल राजस्व नक़्शे के यह बता दिया कि, बड़े हिस्से में अलग से माइनिंग कराई जा रही है। रिपोर्ट के आधार पर हीरा कंपनी की लीज को समाप्त करने की अनुशंसा की गई। राज्य शासन के इस फैसले को याचिकाकर्ता कंपनी ने अधिवक्ता अंशुल तिवारी के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी।

याचिका में कहा गया कि अनुमति के बाद ही उन्होंने एसडीएम व तहसीलदार की उपस्थिति में परिसर में प्रवेश किया। खनन अधिकारी के अनुसार दिसम्बर, 1986 व 17.मई 1988 को जब औचक निरीक्षण हुआ तो खनन निरीक्षक ने खनन होने का खुलासा कर बताया कि, खनन क्षेत्र की सीमा के अंदर कार्य किया जा रहा था। दूसरा निरीक्षण चार .मार्च 1994 को किया गया। खनन निरीक्षक सहित खनन पदाधिकारी, सर्वेयर ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत कर आरोप लगाया कि खनन क्षेत्र के बाहर बिना अनुमति अवैध खनन किया जा रहा है। इस सम्बंध में कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी गई। रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने लीज रोकने के संबंध में आदेश जारी कर दिया।

जस्टिस गौतम भादुड़ी ने याचिकाकर्ताओं के इस तर्क को माना कि, खनन क्षेत्र का कोई नक्शा राजस्व विभाग विधिवत नहीं दे सका है। आवश्यक सीमांकन भी पूरा नहीं किया गया है। बिना सीमांकन और दस्तावेज के ठेका निरस्त करने की कार्रवाई को कोर्ट ने रद कर दिया है।