प्रेमिका को जलाकर मारा : मृत्यु पूर्व बयान मामले में हाई कोर्ट का अहम फैसला, आरोपी की जमानत रद्द…

बिलासपुर। हत्या के मामले में निचली अदालत द्वारा दिए गए आजीवन कारावास की सजा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। डिवीजन बेंच ने कहा है कि यदि चिकित्सक द्वारा मरीज को बयान देने के लिए फिट बताने के बाद कार्यकारी मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में मृत्युपूर्व बयान दर्ज किया गया है, तो उस पर भरोसा किया जा सकता है।

मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल के डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने दोनों आपराधिक अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अपीलकर्ता अजय वर्मा जेल में है। वह ट्रायल कोर्ट के फैसले के अनुसार शेष सजा काटेगा। दूसरा आरोपितअमनचंद रौतिया जमानत बांड पर है। कोर्ट ने जमानत रद कर दी है। डिवीजन बेंच ने कहा कि उसे एक सप्ताह के भीतर छत्तीसगढ़ हाई काेर्ट में आत्मसमर्पण करना होगा। ऐसा ना करने पर उसे शेष सजा काटने के लिए हिरासत में लेने का निर्देश दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, भाटापारा, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा ने हत्या के आरोप में अजय वर्मा को आइपीसी की धारा 302 और 201/34 के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। जुर्माना न देने पर छह महीने के लिए अतिरिक्त सजा भुगतने का आदेश दिया था। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता अमनचंद रौतिया को आइपीसी की धारा 201/34 के तहत दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा 500 रूपये का जुर्माना का आदेश दिया था। जुर्माना की राशि जमा ना करने पर एक महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी।

उमानाथ यादव की बेटी गंगा यादव ( उम्र 18 वर्ष) का आरोपित अजय वर्मा के साथ प्रेम संबंध था। 17.अगस्त 2020 की मध्यरात्रि में गंगा यादव का भाई लल्ला यादव घर आया और बताया कि गंगा यादव जली हुई अवस्था में घर आई है। आग से जलने के कारण वह बुरी तरह घायल थी। बलौदाबाजार के जिला चिकित्सालय में भर्ती किया। जहां से उसे रायपुर रेफर कर दिया गया।

इलाज के दौरान जब उसकी हालत थोड़ी सुधरी तब उसने स्वजनों को बताया कि 17.अगस्त.2020 को रात्रि 12 बजे आरोपित अजय वर्मा ने उससे फोन पर बात की और उसे यादव समाज भवन में मिलने के लिए बुलाया। वह वहां मिलने गई थी. आरोपी का गंगा यादव से झगड़ा हुआ था और उसकी हत्या करने की नियत से उसने उस पर मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा दी और जला कर भाग गया। अमन रौतिया पर आरोप है कि उसने घटना स्थल से साक्ष्य मिटाने और छिपाने का काम किया है। 18.अगस्त .2020 को कार्यकारी मजिस्ट्रेट, अंजलि शर्मा ने गंगा का मृत्युपूर्व बयान दर्ज किया। जिसमें उसने आरोपित अमन द्वारा उसके शरीर में मिट्टी तेल डालकर आग लगाने की बात बताई। इस घटना से गंगा 96 फीसद जल गई थी। मृत्यु पूर्व बयान के कुछ घंटे बाद उसकी मृत्यु हो गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जलने के घाव और उससे उत्पन्न जटिलताओं के साथ ही हृदय व श्वसन प्रक्रिया पूरी तरह बंद होना बताया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि गंगा के सिर और चेहरे को छोड़कर पूरा शरीर सफेद पट्टी से ढका हुआ था। मृतका के शव का पोस्ट मार्टम करने वाले डा एम. निराला ने कोर्ट में ऐसा ही बयान दिया है। ऐसी स्थिति में मृत्यु पूर्व बयान के दौरान मृतका के लिए अंगूठे का निशान लगाना संभव नहीं है। इसके अलावा मृत्यु पूर्व बयान में ओवर राइटिंग है, जो सीआरपीसी की धारा 163 का स्पष्ट उल्लंघन है।

डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि यदि सावधानीपूर्वक जांच के बाद, अदालत मृत्यु पूर्व बयान के रूप में दिए गए बयान को स्वैच्छिक मानती है और इसे सुसंगत और संगत भी पाती है, तो बिना पुष्टि के भी इसके आधार पर दोषसिद्धि दर्ज करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है।