अतिक्रमण पर कोर्ट ने अफसरों से पूछा- इतनी बड़ी जमीन पर जब कब्जा हो रहा था तब क्या कर रहे थे आप?
बिलासपुर। रायपुर के बिल्डरों ने नहर को पाटकर कमर्शियल काम्पलेक्स बना लिया है। सरकारी जमीन पर कब्जा को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने गंभीरता बरती है। नाराज कोर्ट ने राज्य शासन व रायपुर नगर निगम के अफसरों से पूछा कि इतनी बड़ी जमीन पर बिल्डरों ने कब्जा कर कामर्शियल काम्पलेक्स के अलावा मकान भी बना लिया। लोगों को बेच भी दिया। अब खरीदने वाले कहां जाएंगे। जब कब्जा हो रहा था तब आप लोग क्या कर रहे थे।
नाराज कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी व रायपुर नगर निगम के कमिश्नर को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। इसके लिए 12 सितंबर तक की मोहलत दी है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि शासकीय भूमि पर अतिक्रमण हटाने क्या कार्रवाई की जा रही है। बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में जनहित याचिका की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पैरवी करने के लिए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी व रायपुर नगर निगम की ओर से पैरवी करने के लिए अधिवक्ता उपस्थित हुए। शासन व निगम के वकीलों ने जवाब पेश करने के लिए समय मांगी। इस पर कोर्ट ने समय दे दिया है। राजधानी रायपुर के कुछ बिल्डरों ने कमाल कर दिया है।
अमलीडीह में सिंचाई सुविधा के लिए 35 फीट चौड़ी नहर का निर्माण किया गया था। 35 फीट जमीन पर कब्जा कर दीवार खड़ी कर दिया है। अमलीडीह में ही एक नाला व उससे लगे भूखंड के तकरीबन 17 हजार वर्ग फीट जमीन को पाटकर दुकान बना लिया है। बिल्डरों की देखा-देखी कुछ लोगों ने भी नाले की जमीन पर कब्जा कर मकान बना लिया है। रायपुर कलेक्टर ने 17 साल पहले वर्ष 2006 में सरकारी जमीन से कब्जा हटाने निगम को पत्र लिखकर जरुरी निर्देश जारी किया था।
इसके बाद भी निगम ने कार्रवाई नहीं की। नहर पर कब्जा कर बिल्डरों द्वारा रायपुर में अवैध निर्माण कराने व सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त् कराने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ अधिकार आंदोलन समिति ने अपने अधिवक्ता बदरुद्दीन खान के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि अमलीडीह स्थित नहर की जमीन को वर्ष 2006 में रायपुर नगर निगम को सौंप दी गई थी।
तब इस नहर की चौड़ाई 40 फीट थी। नहर के करीब 35 फीट पर कुछ बिल्डरों ने कब्जा कर दीवार खड़ी कर दिया है। इसके चलते पानी निकासी नहीं हो पा रही है। याचिका में इस बात की भी शिकायत की गई है कि अमलीडीह में ही एक नाले के करीब 17 हजार वर्ग फीट हिस्से को पाटकर बिल्डरों ने निर्माण कर लिया। बिल्डरों की देखा-देखी गांव के कुछ लोगों ने इसी जमीन पर कब्जा कर मकान बना लिया है।
मंगलवार को जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी ने बताया था कि कलेक्टर ने स्वयं इस बारे में रिपोर्ट दी थी। अवैधानिक अतिक्रमण हुआ है इसे हटाया जाए। इस पर कोर्ट ने नगर निगम के अधिवक्ता से पूछा कि कलेक्टर की रिपोर्ट के बाद भी अतिक्रमण क्यों नहीं हटाया गया। कहां परेशानी आ रही है।