शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम : साय सरकार के सुशासन में हो रहा शालाओं का युक्तियुक्तकरण


रायपुर। पाठशाला जाने वाले नन्हें बच्चे ही कल राज्य और देश के गौरव बनेंगे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने इस तथ्य को पूरी शिद्दत के साथ स्वीकारा है। प्रदेश के मुखिया के दिशा निर्देश और नेतृत्व के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुरूप राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने के उद्देश्य से शालाओं के युक्तियुक्तकरण की दिशा में एक सार्थक पहल की जा रही है। इस पहल को शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है।

शालाओं के युक्तियुक्तकरण के पीछे साय सरकार का उद्देश्य
राज्य के हर विद्यार्थी को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, इस मंशा को लेकर आगे बढऩे वाली प्रदेश की साय सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि शिक्षकों की तैनाती सिर्फ संख्या के हिसाब से नहीं बल्कि जरूरत के मान से होनी चाहिए। यह कदम सिर्फ एक प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी को शिक्षा के क्षेत्र में एक मजबूत आधार देने वाला ठोस बदलाव है। शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को बेहतर बनाने की पहल के तहत छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है।
युक्तियुक्तकरण का मतलब, स्कूलों और शिक्षकों की व्यवस्था को इस तरह से सुधारना है कि सभी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित हो और कोई भी स्कूल बिना शिक्षक के न रहे। छत्तीसगढ़ की साय सरकार राज्य के शहरी और ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण यानि तर्कसंगत समायोजन कर रही है। उन स्कूलों को जो कम छात्रों के कारण समुचित शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं, उन्हें नजदीकी अच्छे स्कूलों के साथ समायोजित किया जाएगा।