छत्तीसगढ़ के 600 से अधिक लोग फंसे बांग्लादेश में, हिंसा को देखते हुए लगा दिया गया है कर्फ्यू

बिलासपुर। बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण खत्म कर देने के आदेश को लेकर मचे बवाल प्रदर्शन और हिंसा के बीच छत्तीसगढ़ के 600 से अधिक लोग बांग्लादेश में फंस गए हैं। अब प्रदर्शनकारी हिंदुओं को निशाना बनाकर उनके घरों में वह मंदिरों में हमला कर रहे हैं। हिंसा में हुई सैकड़ों मौतों के बीच छत्तीसगढ़ के भी काम करने गए 600 से अधिक लोग बांग्लादेश से फंस गए हैं। लगातार हिंसा की खबरों के बीच परिजन चिंता में है।

बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आरक्षण खत्म कर देने के आदेश के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे को लेकर बवाल शुरू हो गया । प्रदर्शनकारी छात्र संगठन सड़कों पर उतर आए। आरक्षण को लेकर शुरू हुआ फसाद अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ हिंसा में भी बदल गया। कट्टरपंथियों ने हिंदूओ और मंदिरों पर हमले शुरू कर दिए। इस्कॉन और काली मंदिर और सफेद हिंदुओं के घरों को निशाना बनाए जाने लगा। इस बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया। हिंसक प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास में भी घुस गए। सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिंसा के बीच 440 लोगों की जान चली गई जिसमें 14 पुलिसकर्मी भी है।

बांग्लादेश में चुनाव के हालात के बीच भारत के 19 हजार लोग भी वहां फंसे हुए हैं। सभी भारतीय काम करने के लिए पड़ोसी मुल्क में गए थे और हिंसा शुरू होने पर वहीं फंस गए। छत्तीसगढ़ के लोग भी हिंसा के बीच बंगालदेश के ढांका में फंसे हैं। बिलासपुर के विनोद शर्मा ( परिवर्तित नाम) भी बांग्लादेश के ढाका में फंसे हुए है। विनोद पिछले 4 साल से ढाका के निजी कंपनी में कार्यरत है और परिवार सहित वहीं रहते हैं। उनकी मां तथा अन्य परिजन बिलासपुर में रहते हैं सुरक्षा संबंधी कारणों के चलते उनकी मां और अन्य परिजनों ने मीडिया से बातचीत करते वक्त पहचान उजागर नहीं करने की गुजारिश की। परिजनों ने बताया कि विनोद और उनकी कंपनी में कार्यरत 600 भारतीय लोग ढाका में फंसे हुए हैं। जो वहां से वापस भारत आने के लिए प्रयासरत है।

विनोद के घर वालों के अनुसार उनकी कंपनी के सभी अधिकारी–कर्मचारी भारत आने के लिए एयरपोर्ट पहुंच गए थे और फ्लाइट कैंसिल होने के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ा। सभी अधिकारी व कर्मचारी वहां सोशल मीडिया पर ग्रुप बना व फोन के माध्यम से लगातार संपर्क में है। तथा एक–दूसरे को हौसला बंधाते हुए दहशत के बीच भारत वापस लौटने के इंतजार में है। विनोद शर्मा के परिजनों के अलावा उनके मित्र भी उनके संपर्क में थे। विनोद शर्मा ने अपने मित्रों को बताया कि अल्पसंख्यकों के घरों व मंदिरों में हमले तथा अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा की खबरों के बीच सभी काफी दहशत में है। रविवार को वे लोग भारत आना चाहते थे और एयरपोर्ट भी पहुंच गए थे। पर फ्लाइट बंद होने के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ गया। विनोद शर्मा के अनुसार सड़कों पर लगातार हिंसा व प्रदर्शनकारियो के प्रदर्शन के चलते बाजार और दुकानें बंद है। दैनिक रोजमर्रा की चीजे और राशन– दूध के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही हैं। घर में जमा किए हुए राशन से वर्तमान में काम चल जा रहा है। और लंबे समय तक प्रदर्शन हुआ हिंसा नहीं थमने से उनके सामने खाने-पीने तक की मुश्किल उठ खड़ी होगी।

हिंसा के बीच देश से निकलने की जल्दी में बॉर्डर से भी लोग अवैधानिक तरीके से घुसपैठ कर भारत आ जा रहे हैं। जिसके चलते बॉर्डर में भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच भारतीय दूतावास भारतीयों को वापस लाने के लिए जुटा हुआ है। राकेश के परिजन और मित्र लगातार भारतीय दूतावास से संपर्क कर रहे हैं। पर दूतावास की तरफ से कोई एडवाइजरी जारी नहीं की गई है जिसके चलते बांग्लादेश से फंसे लोगों के परिजन परेशान हैं। हालांकि भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी कर लोगों को यात्रा से बचने के लिए कहा है। विनोद के मित्रों के अनुसार विनोद की मां बिलासपुर में अकेली रहती है। जिसके कारण उन्हें चिंताजनक हालातो के बारे में पूरी तरह नहीं बताया जा रहा है। विनोद के परिजन और दोस्त उनकी और उनके परिवार की सकुशल वापसी के लिए लगातार प्रार्थना कर रहे हैं। विनोद और उनके मित्र लगातार संपर्क में थे पर सोमवार शाम से संपर्क नहीं हो पाने के चलते उनकी परेशानी बढ़ गई है।

दरअसल बांग्लादेश में इस समय हिंसा को देखते हुए कर्फ्यू लगा दिया गया है। इसके साथ ही इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क बंद कर दिया गया है। जिससे वहां फंसे लोगों से संपर्क कर पाना मुश्किल हो गया है। अल्पसंख्यकों को बांग्लादेश में निशाना बनाए जाने के बावजूद भी बांग्लादेश मौजूद भारतीय डॉक्टर लोगों की जान बचाने के काम में जुटे हैं।