कॉलेज स्टूडेंट्स के लिए बड़ी खबर: यूनिवर्सिटिज में लागू होगा दिल्ली हाई कोर्ट का यह आदेश, यूजीसी ने जारी किया निर्देश

बिलासपुर। दिल्ली यूनिवर्सिटि के एक स्टूडेंट सुशांत रोहिला ने सुसाइड कर लिया था। यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को पूछा था कि स्टूडेंट्स को अगर कालेज कैम्पस के भीतर किसी तरह की दिक्कतें हो तो उसकी शिकायत करने और समाधान की क्या व्यवस्था है। यूजीसी के जवाब के बाद हाई कोर्ट ने देशभर के यूनिवसिर्टिज और कालेजों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की समस्याओं के निराकरण के लिए कमेटी बनाने और पूरी जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट के निर्देश के परिपालन के संबंध में यूजीसी ने देशभर के विश्वविद्यालयों के लिए सरकुलर जारी कर समिति बनाने का निर्देश दिया है। यूनिवर्सिटिज के अफसरों से यह भी कहा है कि उनके अधिनस्थ कालेजों में भी समिति का गठन हो और पूरी जानकारी आनलाइन भेजी जाए।

दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद यूजीसी ने सरकुलर जारी कर यूजी-पीजी की पढ़ाई कराने वाले सभी हायर एजुकेशन संस्थानों में स्टूडेंट्स की समस्याओं के समाधान के लिए समिति बनाने का निर्देश दिया है। इसके लिए यूजीसी ने 15 दिन की मोहलत दी है। साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि निर्देश का पालन नहीं करने वाले शैक्षणिक संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यूजीसी के सरकुलर पर नजर डालें तो शैक्षणिक संस्थानों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (छात्रों की शिकायतों का निवारण) विनियम, 2023 के अनुसार छात्र शिकायत निवारण समिति का गठन करना होगा।

 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 11 अप्रैल, 2023 को विनियम, 2023 की अधिसूचना जारी की थी। राजपत्र में इसका प्रकाशन भी किया गया था। अचरज की बात कि तकरीबन डेढ़ साल बाद भी यूजीसी के सरकुलर और गजट प्रकाशन के बाद भी इस पर अमल नहीं हो पाया है। यूजीसी के सरकुलर के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थानों को समिति गठन के संबंध में निर्धारित प्रोफॉर्मा में यूजीसी को 24 सितंबर तक जानकारी देनी होगी।

ला यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट सुशाल रोहिला को 75 फीसद अटेंंडेंस ना होने के कारण परीक्षा में बैठने की अनुमति यूनिवर्सिटी ने नहीं दिया। करियर चौपट होने की आशंका से परेशान सुशांत ने सुसाइड कर लिया। सुशांत के आत्महत्या के बाद उसके दोस्त ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर इस बात का खुलासा किया था।

 सुनवाई के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि यूजी और पीजी की कक्षाओं में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के अटेंडेंस के 75 फीसद के मापदंड को लागू किया जाए या नहीं इस संंबंध में उच्च शिक्षा मंत्रालय के सचिव से रायशुमारी मांगी जाएगी। रिपोर्ट और रायशुमारी के आधार पर आगे इस पर निर्णय लिया जाएगा।